नीतीश के रहते बिहार में अल्पसंख्यकों को कोई नहीं दिखा सकता आंख- ललन
पटना : बिहार के 2 विधानसभा सीटों पर आगामी कुछ दिनों में उपचुनाव होने को है। वहीं, इस उपचुनाव से पहले जदयू द्वारा एक बार फिर से अल्पसंख्यक प्रेम उमड़ता हुआ दिख रहा है। जदयू द्वारा उपचुनाव शुरू होने से ठीक पहले बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कामों की चर्चा शुरू कर दी गई है।
नीतीश के रहते कोई आंख नहीं दिखा सकता
दरअसल, बिहार में 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बिहार में नीतीश के रहते अल्पसंख्यकों को कोई आंख नहीं दिखा सकता है। उनका यह बयान मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों को लेकर था।
सबसे ज्यादा योगदान नीतीश कुमार का
इसके साथ ही ललन सिंह ने कहा कि बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए आजादी के बाद जितना काम हुआ, उसमें सबसे ज्यादा योगदान नीतीश कुमार का है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए जो काम किया है।वैसा काम किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री ने नहीं किया है।
नीतीश कुमार की लोकप्रियता यूं ही नहीं बढ़ी
इसके साथ ही जेडीयू अध्यक्ष ने कहा कि जो लोग अल्पसंख्यकों का वोट लेते रहे, वह उन्हें विकास की मुख्यधारा में जोड़ने का काम नहीं कर सके। मुसलमानों की प्रगति के लिए यह जरूरी था कि उनके अंदर शिक्षा का स्तर बेहतर किया जाए। नीतीश कुमार ने इस दिशा में सबसे ज्यादा काम किया। उन्होंने कहा कि सभी दलों के राजनेताओं को यह बात समझना चाहिए कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता यूं ही नहीं बढ़ी, बल्कि इसके पीछे उनका सभी को साथ लेकर चलने की इच्छा शक्ति है।
मदरसों की स्थिति में सुधार
ललन सिंह ने कहा कि बिहार में मदरसों की स्थिति खस्ताहाल थी। मदरसा शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलता था। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। ललन सिंह ने कहा कि अब नीतिश कुमार द्वारा जो न्याय के साथ विकास का नारा दिया गया था उसे सही तरीके से जमीन पर उतारा भी गया है।
दो सीटों पर उपचुनाव
गौरतलब है कि, बिहार में होने वाले उपचुनाव को लेकर जहां एनडीए की लड़ाई अब राजद और कांग्रेस दोनों से अलग -अलग हैं। तो वहीं के लालू के बड़े लाल तेजप्रताप यादव द्वारा भी इन दोनों सीटों पर अपना अलग उम्मीदवार दिया जा रहा है, जिससे उनके छोटे भाई और बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव खासा परेशान चल रहे हैं क्योंकि इससे पहले उनकी लड़ाई सिर्फ कांग्रेस और एनडीए से थी लेकिन अब उनकी लड़ाई कांग्रेस एनडीए और अपने भाई द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार से भी होगी। जबकि चिराग गुट की लोजपा की लड़ाई एनडीए और बाकी महागठबंधन के घटक दलों से है। इसके साथ ही पप्पू यादव की पार्टी की लड़ाई मात्र राजद और एनडीए से है।