पटना : बिहार सरकार के हलफनामें ने नितीश राज में शिक्षा जगत के सबसे बड़े घोटाले का भंडाफोड़ किया है। यह घोटाला 54 हज़ार करोड़ रुपये अनुमानित है। शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों ने बताया कि नियोजित शिक्षकों के केन्द्रांश मद की प्राप्त राशि में से प्रति शिक्षक 5 हज़ार की राशि 2005 से ही सरकार द्वारा कटौती की गयी है। यह बात अटार्नी जनरल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे से स्पष्ट है। राज्य में अभी साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षक हैं। इस प्रकार 5 हज़ार रुपये प्रति नियोजित शिक्षक के हिसाब से आज तक लगभग 27 हज़ार करोड़ राशि की कटौती सरकार द्वारा की गयी है। लगभग उतनी हीं—27 हज़ार करोड़ की राज्यांश मद की राशि, जो केन्द्रांश में मिलानी थी उसका जिक्र तक नहीं किया गया है। कुल मिलाकर लगभग 54 हज़ार करोड़ की राशि जो नियोजित शिक्षकों के हक़ की थी, उसे मौजूदा राज्य सरकार डकार गयी है। उसी प्रकार यूटीआई के बहाने साढ़े तीन लाख शिक्षकों को बेवकूफ बनाकर बिहार सरकार द्वारा करोड़ो रुपया 5 वर्षों से लगातार काटा जा रहा है, जिसका आकलन किया जा सकता है। विभिन्न शिक्षक संघों ने इस मामले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 54 सौ करोड़ का वित्तीय रोना रोने वाली ये सरकार शिक्षकों के साथ न्याय करना तो दूर उनके हक़ का 54 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा डकार के बैठी हुई है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में सीबीआई जांच का विषय है।
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