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नवादा में परती रह गई 40 फीसदी भूमि

नवादा : श्रावण मास के अंतिम सप्ताह में भी नवादा जिले में बारिश नहीं होने से किसानों में कोहराम मचा हुआ है। वे सुबह से शाम तक खेतों में जाकर बारिश की आस लिए किसानी करते हुए बस आसमान निहार रहे हैं। परंतु श्रावण मास के अंतिम सप्ताह तक इंद्रदेवता नाराज बैठे रहे। इसे देखते हुए जिले को अकाल क्षेत्र घोषित करने की मांग जोर पकङने लगी है। सावन के आखिरी दिनों में भी पूरवा हवा चल रही है। सावन के कुछ ही दिन शेष हैं, जबकि धरती अब भी प्यासी है। खेत परती हैं, धूल उड़ रही है और बच्चे परती खेत में क्रिकेट का मजा ले रहे हैं। नतीजा जिले में 40 फीसदी भूमि परती रह गयी है।

सावन समाप्त होने को, खेतों में उभरी दरारें

इस बार तो मवेशियों को भी पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा। खेत में धान के बिचड़े सूखने लगे हैं। समस्या को लेकर किसानों व सामाजिक संगठन के लोगों ने पदाधिकारियों तक गुहार लगाया। किसान संघ ने तो पिछले दिनों सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने को लेकर प्रत्येक प्रखण्ड कार्यालय परिसर में एक दिवसीय धरना भी दिया था। बाबजूद इनकी बातों को सुनने के लिये कोई भी आगे नहीं आया। किसान बताते हैं कि अगर बारिश अब भी नहीं हुई तो धान के बाद गेंहू, दलहन आदि की भी फसलें नही लग पाएंगी। पानी का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। बहुत से ऐसे गांव हैं जहां चापाकल सूख गए हैं। धेवधा गांव में पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। इस गांव में अभी तक जल-नल योजना का कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है। इसकी जानकारी बीडीओ को भी दी गई है।

85 हजार हेक्टेयर में होती है धान की खेती

नवादा जिले में 85 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। कृषि विभाग 60 प्रतिशत भूमि में धान आच्छादन की बातें कर रहा है। हालांकि सच्चाई इससे कुछ इतर है। पहले भादो तक धान की रोपाई होती थी। अब समय पर रोपाई नहीं हुई तो पैदावार काफी कम हो जाता है।

नहर सिंचित इलाकों का भी बुरा हाल

नवादा का कुछ भाग व वारिसलीगंज तथा काशीचक का एरिया सकरी नहर का माना जाता है। लेकिन इस वर्ष नहर में पानी नहीं रहने के कारण इन क्षेत्रों में भी धान का आच्छादन काफी कम हो सका है। इसी प्रकार की स्थिति जिले के सभी 14 प्रखंड क्षेत्रों की है। जिले में भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट हो रही है। ऐसे में जो धान रोपे भी गये हैं उसे बचा पाना मुश्किल हो रहा है। किसानों के हौसले पस्त हैं लेकिन प्रकृति के आगे वे बेबस हैं। श्रम के साथ पूंजी के भी डूबने की आशंका है। कुल मिलाकर जिला भीषण अकाल की चपेट में है और अकाल क्षेत्र घोषित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
(रवीन्द्र नाथ भैया)