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नवरात्र में बन रहे सर्वार्थसिद्धि से त्रिपुष्कर योग तक, गुरु व शनि रहेंगे स्वगृही

पटना : इस बार नवरात्रि के दौरान तीन स्वार्थ सिद्धि योग 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को बन रहा है। वहीं, एक त्रिपुष्कर योग 18 अक्टूबर को बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस नवरात्रि के दौरान गुरु व शनि स्वगृही रहेंगे जो बेहद ही शुभ फलदायी है। इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के साथ-साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करना लाभकर होगा। इस दौरान झूठ, फरेब व व्यसन से बचना चाहिए। कन्या पूजन के साथ-साथ नौ वर्ष से नीचे की कन्याओं को उपहार भी देना चाहिए।

तुला राशि में प्रवेश कर रहे सूर्य, पहले दिन चित्रा नक्षत्र

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन चित्रा नक्षत्र रहेगा। जबकि पूरे नवरात्रि में चार सर्वार्थसिद्धि योग, एक त्रिपुष्कर और चार रवि योग बनेंगे। इन शुभ संयोगों के अलावा आनंद, सौभाग्य और धृति योग भी बन रहा है। ये शुभ संयोग जमीन में निवेश, खरीद और ब्रिकी के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं। साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार आता है। जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि आती है। नवरात्रि के नौ दिन में मां के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

नवमी और दशमी एक दिन

इस बार नवमी और दशमी एक ही दिन मनायी जाएगी। 25 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 14 मिनट तक नवमी मनायी जाएगी।  11 बजकर 14 मिनट के बाद हवन के साथ विजयादशमी मनायी जाएगी। इसके बाद शाम को दशहरा मनाया जाएगा।

घोड़े पर हो रहा आगमन

इस बार मां का आगमन घोड़े पर हो रहा है। शास्त्रों के अनुसार मां का घोड़े पर आगमन पड़ोसी देशों के साथ कटु संबंध राजनीतिक उथल-पुथल, रोग व शोक देता है। फिर मां भैंस पर विदा हो रही है। इसे भी शुभ नहीं माना जाता है।

ऐसे करें पाठ

बड़ी संख्या में लोग दुर्गाशप्तसती का पाठ स्वंय करते हैं। दुर्गा पाठ करने का विधान है। पंडित प्रेम सागर पांडेय कहते हैं कि खुद से पाठ करने वाले श्रद्धालुओं को पाठ के पहले माता का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद अष्टोत्तरशतनाम(दुर्गा के 108 नाम) का जाप करना चाहिए। इसके बाद विनियोग करना चाहिए। बाद में श्रापमुक्ति मंत्र का पाठ होना चाहिए। इसके बाद कई तरह के विध्नयास करने के बाद माता का ध्यान करते हुए कवच का पाठ करने का विधान है। कवच पाठ के बाद अर्गला, कीलक आदि का पाठ करके सप्तशती का पाठ करना चाहिए।

तिथि और मां का पूजन

17 अक्टूबर – प्रतिपदा – घट स्थापना और शैलपुत्री पूजन
18 अक्टूबर – द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी पूजन
19 अक्टूबर – तृतीया – मां चंद्रघंटा पूजन
20 अक्टूबर – चतुर्थी – मां कुष्मांडा पूजन
21 अक्टूबर – पंचमी – मां स्कन्दमाता पूजन
22 अक्टूबर – षष्ठी – मां कात्यायनी पूजन
23 अक्टूबर – सप्तमी – मां कालरात्रि पूजन
24 अक्टूबर – अष्टमी – मां महागौरी पूजन
25 अक्टूबर – नवमी, दशमी – मां सिद्धिदात्री पूजन व विजया दशमी