मोतिहारी में फंसे मजदूरों का सब्र टूटा, साइकिल से ही निकल पड़े पुरुलिया
नवादा : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देख लॉकडाउन को बढ़ाकर फ़िलहाल 17 मई तक किया गया है। लॉकडाउन से उत्पन्न उत्पन्न हुई समस्या की सबसे जयादा मार गरीब व दैनिक मजदूरी कर गुज़र बसर करने वाले मजदूरों पर पड़ी है। अब उनके सामने भुखमरी जैसी समस्या उत्पन्न हो गई है।
लॉकडाउन के कारण बिहार के मोतिहारी जिले में फंसे मजदूरों का सब्र का बांध टूट गया है। वे अब साइकिल से ही बंगाल के पुरुलिया जिले के लिए निकल पड़े है। नवादा ज़िले के रजौली पहुंचे 32 साइकिल सवार मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन के तीसरे चरण तक फंसे रहने के कारण न तो जिस कंपनी में कार्यरत थे, वहां से सहयोग मिला और न ही सरकार से सहायता।
इंतजार करते-करते आखिरकार सब्र का बांध टूटा और साइकिल से अपने-अपने गांव निकल पड़े। अपने गांव जाने में इन मजदूरों को करीब 600 किलोमीटर की दूरी साइकिल तय करनी होगी। सुरेंद्र कुमार, उपेंद्र राजवंशी, कृष्णा कुमार,रमेश महतो, देवर्त पानी आदि ने बताया कि 8 मई को सभी गांव के लिए साइकिल से निकल पड़े हैं।
मजदूरों ने कहा कि सीतामढ़ी की एक कंपनी में बिजली ठीकेदार के यहां मजदूर के तौर पर काम करते थे। लॉकडाउन के कारण कंपनी मालिक ने सहयोग करने से मना कर दिया। किसी तरह दिन काटने को मजबूर हुए। कई बार अपने गांव वापस जाने की गुहार भी लगाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो थक हारकर अपने घर जाने को मजबूर हो गए।
मजदूरों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जिस कंपनी में काम करते हैं, उसके पास तीन माह की मजदूरी बकाया है, लेकिन इस संकट की घड़ी में कंपनी भी हाथ पीछे खींच लिया। जिससे उनलोगों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पास के गांव के ग्रामीणों द्वारा मिले कुछ खाद्य सामग्री से कुछ दिनों तक जीवनयापन हुआ, लेकिन उसके बाद स्थिति विकट होने लगी। तो साइकिल से ही अपने प्रवास की ओर निकल गए।