पटना: लॉकडाउन में ऑनलाइन गोष्ठी से अच्छा कोई विकल्प नहीं। साहित्यिक लोगों के लिए यह समय वरदान की तरह है, वह इस समय सीखने और सिखाने का कार्य कर सकते हैं। लॉकडाउन में हर वक़्त घर में रहने के कारण कई लोग परेशान और चिड़चिड़ेपन का शिकार हो रहे हैं। उन सब के लिए ऑनलाइन साहित्यिक गोष्ठी एक अमृत के समान है। हर महीने ऐसी गोष्ठी का आयोजन होता रहे”, उक्त बातें पटना के वरिष्ठ कवि घनश्याम जी ने पटना के साहित्यिक संस्था ‘लेख्य-मंजूषा’ के ऑनलाइन गोष्ठी में कहे।
‘मातृ-दिवस’ के अवसर पर लेख्य मंजूषा की यह ऑनलाइन गोष्ठी मोबाइल एप्लीकेशन ‘गूगल मीट’ के जरिये हुई। इस गोष्ठी में बिहार से लेकर अमेरिका तक के साहित्यकारों ने एक साथ भागीदारी सुनिश्चित की। कुल 24 रचनाकारों की उपस्थिति से गोष्ठी सफल हुई।
कैलिफोर्निया, अमेरिका से उपेंद्र सिंह ने ‘तेरी याद आयी माँ’ की कविता से गोष्ठी की शुरुआत किये। कैलिफोर्निया अमेरिका से उर्मिला पांडेय और लेख्य-मंजूषा की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव जुड़ी। आज सभी साहित्यकारों ने मातृ दिवस पर अपनी-अपनी रचना का पाठ ऑनलाइन किये।
कार्यक्रम के अंत में उपन्यासकार अभिलाष दत्त ने उपन्यास लेखन पर अपने विचार रखे। उपन्यास लिखने के लिए मूलभूत सिद्धांतो के बारे में उन्होंने बताया।
ऑनलाइन गोष्ठी में साहित्यकार राहुल शिवाय माँ पर लिखित घनाक्षरी के साथ उपस्थित थे। इंदौर से ऋतु कुशवाहा और दिल्ली में कोरोना बीमारी में मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉ. रविन्द्र सिंह यादव अपनी रचनाओं के साथ उपस्थित थे।
इसके साथ ही कार्यक्रम में आरा से डॉ.प्रियंका, पटना से डॉ. पूनम देवा, वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, ग़ज़लकार सुनील कुमार, कवियत्री अमृता सिन्हा, कवि सीमा रानी, रवि श्रीवास्तव, अभिलाषा कुमारी, नूतन सिन्हा, पूनम कतरियार, कवियत्री ज्योति स्पर्श आदि उपस्थित थे।