पटना : बिहार में अब तक दो चरणों के हुए संसदीय चुनाव में पुलिस ने चैन की सांस ली है, क्योंकि चुनाव वहिष्कार के बाद भी माओवादी लोकतांत्रिक संसदीय धारा के साथ ही चले।
गया और औरंगाबाद के दुर्गम चक्रबंधा जंगल में केन्दित हुए माओवादियों ने चुनाव वहिष्कार की घोषणा तो की, लेकिन पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था और अतिरिक्त तैयारियों के कारण वे न केवल शांत रहे, बल्कि एक पार्टी विशेष के साथ मिलकर चुनावी प्रकिया में शामिल हो गये।
पुलिस की नजर अब मुगेर और वाल्मीकिनगर पर
इस सबंध में एडीजी मुख्यालय कुन्दन कृष्णन ने बताया कि अभी पांच चरण शेष हैं। उनमें मुगेर का हिस्सा भी बाकी है। मुंगेर के खड़गपुर में सामरिक और रणनीतिक लिहाज से नक्सलियों का मजबूत गढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं, पर, तैयारी कैसी है-नहीं बता सकते। उन्होंने बगहा के जंगल खासकर, गोवर्धना पहाड़ी की ओर संकेत देते हुए का कि वहां भी चुनाव अभी होने हैं।
दोनों जगहों पर है नक्सलियों का अस्त्ति्व
दूसरी ओर, गुप्तचर एजेंसियों का मानना है कि बिहार में माओवादी अब अंतिम सांस ही गिन रहे हेैं। उनके द्वारा जारी चुनाव वहिष्कार की घोषणा खोखली ही है क्योंकि गांव-देहातों में अब उनकी कोई नहीं सुनता। अब लोग उनके फरमान को महत्व नहीं देते हैं।
गुप्तचर एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के गया-औरंगाबाद सीमा स्थित चक्रबंधा पहाड़ी पर 50-60 की संख्या में माओवादियों का जमावड़ा है। वहीं से वे अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके फरमान का भी कोई महत्व पहाड़ के नीचे ही कोई नहीं मानता।
सूत्रों ने यह भी बताया कि नार्थ बिहार का माओवादी प्रमुख राजन भी चक्रबंधा में ही शिफ्ट कर गया है। ऐसी स्थिति में बगहा की पहाड़ी पर शांति की उम्मीद की जा सकती है। दूसरी ओर पुलिस के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए विशेष रणनीति बनायी है। नक्सलग्रस्त क्षेत्रों के पुलिस कप्तानों को निर्देश दिया गया है कि वे गुप्तचरों के साथ निरंतर बैठक कर अपनी रणनीति बनाएं, पर, उसका खुलासा नहीं करें।