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लॉकडाउन मानिये, वर्ना भारत में भी सड़कों पर शेर-बाघ करेंगे पेट्रोलिंग!

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस भारत में भी कोहराम मचाने लगा है। जिस तरह से इसके मामले देश में द्विगुणित हो रहे हैं, उसने चिंता बढ़ा दी है। अभी भी बिहार समेत देश के विभिन्न हिस्सों में लोग लॉकडाउन को मजाक में ले रहे हैं। अब भी वक्त है। संभलें, वर्ना तबाह हो जायेंगे। भारत में 22 मार्च से लॉकडाउन है लेकिन कोरोना के आंकड़े हैं कि बढ़ते ही जा रहे हैं। स्पष्ट है कि लॉकडाउन को लोग पूरी तरह नहीं मान रहे। ऐसे में अब भारत में भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन वाला फॉर्मूला लागू करने की चर्चा होने लगी है। सोशल मीडिया में खबरें चल रही हैं कि रूस के विभिन्न शहरों में लॉकडाउन का जिम्मा पुतिन ने शेरों और बाघों को दे दिया है।

क्या है लॉकडाउन वाला पुतिन फॉर्मूला

कोरोना वायरस से दुनिया भर में हाहाकार के बीच सोशल मीडिया पर रूस का एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लोगों से कोरोना वायरस के चलते घरों में रहने की अपील कर रहे हैं, लेकिन लोग मान नहीं रहे हैं। लिहाजा उन्होंने वहां की विभिन्न शहरों में सड़कों पर 1000 शेर और बाघ को छोड़ दिए हैं।

भारत में क्यों जरूरी है पुतिन फॉर्मूला

अब आइये भारत की बात करें। लॉकडाउन को लेकर जो मानव व्यवहार बाकी दुनिया में देखा जा रहा है, कमोबेश वही व्यवहार भारत की जनता भी दिखा रही है। अगर सच कहें तो लॉकडाउन को लेकर दुनिया के अन्य देशों के नागरिकों से भी कहीं ज्यादा गैर जिम्मेदार व्यवहार हम समाजवादी भारतीय नागरिकों का है। ऐसे में लॉकडाउन पर यह लापरवाही इतनी सघन और इतनी बड़ी आबादी वाले हमारे देश में काफी खतरनाक और घातक है। यही कारण है कि भारत में भी पुतिन के शेर—बाघ वाले फॉर्मूले की खूब चर्चा हो रही है।

सोशल मीडिया पर दावे और सच्चाई

पुतिन का शेर—बाघ वाला मैसेज अलग-अलग सोशल मीडिया पर किसी जंगल की आग तरह फैल रहा है। लोग अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर इसे धड़ाधड़ शेयर कर रहे हैं। ट्विटर पर किसी ने एक मैसेज शेयर करते हुए लिखा कि पुतिन ने रूस के लोगों को दो विकल्प दिए हैं। या तो वे दो हफ्ते के लिए घरों में रहे या फिर 5 साल के लिए जेल में। बीच का कोई रास्ता नहीं है। लोग घर से न निकले इसलिए उन्होंने सड़कों पर 1000 शेर और बाघ को छोड़ दिए हैं। रूस में कई हिस्से में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। जब इन सोशल मीडिया मैसेज की पड़ताल की गई तो पता चला कि शेर की जो फोटो वायरल हो रही है दरअसल वो चार साल पुरानी है। ये तस्वीर साल 2016 में डेली मेल में छपी थी और ये अफ्रीका की है। फिलहाल मैसेज फेक हो सकता है, लेकिन इसका उदृेश्य कहीं से भी गैरजरूरी नहीं है। पुतिन के उलट हमारे प्रधानमंत्री मोदी तो बार—बार हाथ जोड़कर देश बचााने, एक—एक भारतीय की जान बचाने की बात कर रहे हैं। फिर क्या हम अपनी, अपने परिवार और अपने देश को बचाने के लिए उनकी वीनती को नहीं मानेंगे! क्या हम प्रलय होने के बाद ही चेतेंगे! जरा सोचिये!