नवादा : मगध के प्रसिद्ध मगही पान की तारीफ़ आप अक्सर फ़िल्मी गानों में सुना करते है। इसकी डिमांड बनारस की मंडियों में भी है, लेकिन कोरोना महामारी व लॉकडाउन ने जहां लोगों के मुंह की लाली छीन ली तो वहीं पान किसानों की बदहाली कई गुना बढ़ गई। लॉकडाउन के चलते पान की बिक्री नहीं हो सकी और फसल खेतों में ही सड़कर बर्बाद हो गई। इससे किसानों को काफी नुकसान सहना पड़ा है। कमाई की बात तो दूर उनकी पूंजी पर भी आफत आ गई है।
मगही पान की खेती मुख्यतः नवादा जिले के हिसुआ, नारदीगंज, पकरीबरावां आदि प्रखंडों में व्यापक स्तर पर होती है। हिसुआ प्रखंड के तुंगी बेलदारी के पान किसान सुरेंद्र चौरसिया बताते हैं कि लॉकडाउन में बिक्री नहीं होने के चलते पान की फसल खेतों में ही पड़ी रह गई। जो अब सड़कर बर्बाद हो रही है।
वे यह भी बताते हैं, फाल्गुन के महीने में बनारस की मंडियों में पान भेजे गए थे। वहां के व्यापारी पान लेने पर दो-तीन महीने के बाद भुगतान करते हैं, लेकिन माल भेजने के बाद लॉकडाउन हो गया। इससे पान के एवज में पूरी राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। स्थानीय मंडी में भी व्यापारियों के यहां पूंजी फंसी हुई है।
आंधी-बारिश से किसानों पर पड़ी दोहरी मार
पान किसानों को कोरोना के कहर के बीच प्रकृति की मार भी सहनी पड़ी है। पिछले दिनों आई आंधी-बारिश से पान के बरैठे क्षतिग्रस्त हो गए। जिससे बची-खुची फसल भी बर्बाद हो गई। इससे किसानों को बड़ा आíथक नुकसान सहना पड़ा है। पान किसान बताते हैं, दोहरी मार से कमर ही टूट गई है। पान की खेती ही उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। लेकिन इस साल तो आमदनी की कोई उम्मीद नहीं बची है। खेती के लिए लिया गया कर्ज चुकाना भी पहाड़ साबित होगा। सरकार से मांग है कि इसकी क्षतिपूíत हो, ताकि किसान पुन: रोजगार कर सकें। भविष्य की आस में बरैठा लगाने की तैयारी
भविष्य में कमाई का आस लगाकर पान किसान बरैठा लगाने की तैयारी कर रहे हैं। सुरेंद्र की मानें तो कई किसान तो फाल्गुन और चैत्र के महीने में बरैठा लगा चुके हैं तो कुछ किसान अभी लगा रहे हैं। वे बताते हैं, इसमें भी काफी खर्च आता है। बांस, एरकी, पुआल आदि की खरीदारी करनी पड़ती है। पूंजी के अभाव में यह सब खरीदना मुश्किल हो रहा है, पर इस खेती के अलावा कोई अन्य विकल्प भी नहीं है। सरकार से मदद नहीं मिली तो किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
दुकानदारों के समक्ष भी विकट समस्या :
लॉकडाउन में पान की गुमटी भी बंद हो गई, जिससे उनका कारोबार ठप हो गया। पान गुमटी संचालक राजेंद्र प्रसाद बताते हैं, वे पिछले 30 सालों से इस कारोबार से जुड़े हैं। यह पहला अवसर है जब इतने दिनों तक गुमटी बंद करनी पड़ी है। बिक्री बंद होने से आíथक संकट उत्पन्न हो गया है। लॉकडाउन से पूर्व पान की ढोली मंगाई थी। एकाएक दुकान बंद करने से ढोली तो सड़ चुकी, लेकिन थोक विक्रेता को उसका भुगतान करना पड़ेगा। इस तरह उन्हें भी दोहरी मार झेलनी पड़ी है। आमदनी बंद हुई और सड़ चुके पान के पैसे भी भुगतान करने पड़ेंगे।
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