लॉकडाउन में कोटा से बिहारी छात्रों का घर आना नीतीश सरकार को रास नहीं आया
पटना : बिहार में कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बिहार में अब तक 66 कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके है। राज्य के लोग इस वायरस से बचने के लिए घरों से बाहर नहीं निकल रहे है। इसके साथ ही देश में एक बार फिर से इस वायरस से बचने के लिए लॉक डाउन की अवधि बढ़ा दी गयी है। अब पुरे भारत में 3 मई तक लॉक डाउन रहेगा। हालांकि देश के प्रधानमंत्री ने राहत भरी बात यह बताया कि राज्यों के उन जिलों में कुछ छूट आगमी 20 अप्रैल के बाद दी जा सकती है जहां कोरोना के एक भी मरीज नहीं है। इस बीच कोटा में रह रहे बिहारी छात्रों के लिए यह एक संकट का समय है।
कोटा में है 40 कोरोना पॉजिटिव मरीज
बिहार से जाकर हजारों छात्र राजस्थान के कोटा में पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन इस संकट की घड़ी में राजस्थान सरकार वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों को बिहार भेज रही है। मालुम हो की कोटा में 40 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले है। गौरतलब है कि ऐसे में इन लोगों को बिहार भेजने से बिहार में और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि बिहार सरकार ने राजस्थान सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई है।
सरकार से गलत फैसले का विरोध
सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इसको लेकर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कोटा जिला अधिकारी के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। दीपक कुमार ने कहा कि गृह मंत्रालय को राजस्थान सरकार को लॉकडाउन का सख्ती से पालन करने का आदेश देना चाहिए इसके साथ ही मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि इस तरह के फैसला देने वाले कोटा के डीएम को फटकार लगानी चाहिए।कोटा में करीब 40 कोरोना संक्रमित मरीज है। ऐसे में वहां के डीएम बड़ी तादाद में निजी गाड़ियों के लिए पास जारी कर बिहार के छात्रों को भेज रहे है यह एक गलत निर्णय है।
छात्रों को किया जाएगा क्वॉरेंटाइन
मुख्य सचिव ने कहा कि कहा कि जो भी कोटा में पढ़ाई करने वाले छात्र वापस बिहार आते हैं तो परिजनों को साथ उनको 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। जानकारी हो कि दो दिन पहले ही कोटा से कई छात्र पूर्णिया पहुंचे थे। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम को सूचना मिली तो वह सभी छात्रों को 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था।