लेख्य मंजूषा : “आज मैंने थोड़ा सा जाना, पूरा पहचाना, अब होली के अवसर पर पड़ेगा मुझे गाना”

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पटना : पटना में लेख्य मंजूषा संस्था के बैनर तले होली मिलन सह महिला दिवस के मौके पर परांत लेख्य – लेख्य की त्रैमासिक पत्रिका “साहित्यिक स्पंदन” का लोकार्पण किया गया। लेख्य – मंजूषा की कार्यकारी अध्यक्ष रंजना सिंह ने संस्था के बारे में बताते हुए कहा कि विगत तीन वर्षों से संस्था अनेक उपलब्धियों को हासिल किया है। अभिभावक डॉ. सतीशराज पुष्करणा जी और अध्य्क्ष विभा रानी श्रीवास्तव के छत्रछाया में संस्था दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है।

दार्शनिक कवि राश दादा ने की अध्यक्षता

उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता दार्शनिक कवि राश दादा ने करते हुए बताया कि “आज मैंने थोड़ा सा जाना, पूरा पहचाना, अब होली के अवसर पर पड़ेगा मुझे गाना” राशहोली रंगो और उमंगो का त्योहार है। साथ ही साथ उन्होंने इस अवसर पर अपनी दादी को याद करते हुए कहा कि गाँव में जब गुंडे घुसने की कोशिश करते तो सबसे पहले वह मेरी दादी को देखा करते, अगर दादी दिख जाती तो वह गुंडे उल्टे पाँव भागते थे। महिलाओं को सशक्तिकरण हमसे नहीं चाहिए वह खुद शक्ति का स्वरूप हैं। इसलिए मैं महिला दिवस को शक्ति दिवस के तौर पर मानता हूँ।यह एक ऐसा पर्व है जो सामाजिकता व सामूहिकता का भाव लिए हमें अपनी संस्कृति से जोड़ रहा है। होली पर्व उम्र की सीमा तोड़ सबको रंगों में डूबा देती है। उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने लेख्य – मंजूषा के त्रैमासिक कार्यक्रम “महिला दिवस और होली के पावन अवसर पर” द इंस्टीच्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भवन में कहा।

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वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. ध्रुव कुमार ने महिला दिवस के शुभ अवसर पर जारी की अपना चिंतन

कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. ध्रुव कुमार ने महिला दिवस के शुभ अवसर पर अपना चिंतन रखते हुए कहा कि हर रोज़ हम महिलाओं के प्रति घटनाएं देखते हैं। ऐसा क्यों होता है ? जिस देश में युध्द लड़ने के भी नियम है उस देश मे एक महिला पड़ोसी देश में अपनी इज्जत बचा लेती है लेकिन अपने देश मे अग्नि – परीक्षा से गुजरना पड़ता है। संस्कार घर से शुरू होती है और वहीं से भेद भाव शुरू होता है। निर्भया को भी संस्कार देने वाली एक माँ थी तो निर्भया के साथ नृशंस कृत्य करने वाले लोगों को भी संस्कार देने वाली एक माँ ही थी। जब संस्कारो में भेदभाव होगा तब तक देश में इस तरह की घटनाएं सामने आती रहेंगी। अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। आज हम मंच से जो बोलते हैं उन्हें खुद के जीवन में जब तक नहीं लाएंगे तब तक यह समाज में सुधार बहुत दूर ही नजर आती है।

अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण जी ने किया

अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण जी ने किया। स्वागत में सहयोग करते हुए शिक्षिका संगीता गोविल जी ने सभी अतिथियों को चेहरे पर गुलाल लगा होली की हार्दिक बधाई दिया। कार्यक्रम के अंत में पटना बाढ़ में जिन सदस्यों ने मदद की थी उन सभी को अतिथियों के हाथों प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में साहित्यकार प्रणय कुमार सिन्हा, कवि राज किशोर रंजन, कवि शहंशाह आलम, कवि घनश्याम, वरिष्ठ साहित्यकार नीलांशु रंजन, कवि सिद्धेश्वर इत्यादि उपस्थित थे। मंच संचालन अभिलाषा कुमारी और रश्मि अभय जी ने मिल कर किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रब्बन अली जी ने किया।

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