क्यों रणक्षेत्र बन गया पीयू कैंपस ?

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पटना : कहते हैं कि नदियों के किनारे सभ्यताओं का विकास होता है। चाहे वह मिस्र की सभ्यता हो या सिंधु घाटी की सभ्यता, सभी सभ्यताएं नदियों के किनारे ही फली-फूली. लेकिन, ऐसी ही एक ज्ञान की सभ्यता है. जिसे कभी ईस्ट का ऑक्सफोर्ड भी कहा जाता था।  पटना विश्वविद्यालय विश्व का दूसरा ऐसा विश्वविद्यालय है, जो किसी नदी के तट पर स्थित है। जहां एक और गंगा जैसी पावन नदी है तो वहीं दूसरी ओर राजनीति का रिहर्सल ग्राउंड अशोक राजपथ यह वही राजपथ है जिस पर चलकर पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के नेता राजनीति के शिखर पर पहुंचते हैं कोई विधानसभा तक तो कोई दिल्ली के संसद भवन तक पहुंचता है।

लेकिन समय-समय पर आपराधिक घटनाओं के कारण विश्वविद्यालय की विश्ववसनीयता पर भी सवाल उठते रहे हैं। हाल  के दिनों में विश्वविद्यालय छात्रावास के लड़कों तथा स्थानीय लोगों के बीच झड़प जारी है दोनों गुटों के बीच हुए इस झड़प में सोमवार की रात एक व्यक्ति की मौत हो गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मामला यह है कि कुछ दिन पहले छात्रावास के लड़के घूमते हुए कृष्णा घाट के तरफ पहुंचे थे। जहाँ कुछ स्थानीय युवक व युवतियां घाट का भ्रमण कर वापस घर लौट रहे थे। तभी हॉस्टल के कुछ लड़के स्थानीय युवक व युवतियों के साथ बदमाशी करने लगे। इसी बीच स्थानीय युवक व युवतियां किसी तरह वहां से भागकर अपने घर पहुचीं और घरवालों को पूरी घटना से अवगत कराया।

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घटना के बाद से ही लालबाग के लोग योजनाबद्ध तरीके से हॉस्टल के लड़कों से बदला लेने चाह रहे थे। इसी क्रम में सोमवार की रात लगभग 500 से अधिक लालबाग निवासी बंदूक,  ईट,  पत्थर,  बोतल लेकर हॉस्टल के लड़कों पर हमला बोल दिया। दोनों तरफ से हुए इस उपद्रव में पत्थर लगने से एक अधेड़ की मौत घटनास्थल पर ही हो गई तथा कई लोग जख्मी हो गए।

घटना की सूचना मिलते ही पटना एसएसपी के नेतृत्व में पुलिस पहुंची और स्थिति पर काबू पाया। स्थिति सामान्य होने के बाद विश्वविद्यालय के पांच छात्रावास मिंटो,  जैक्सन,  इकबाल,  न्यू हॉस्टल व नदवी को सील कर दिया गया है।

मालूम हो कि इसी विश्वविद्यालय के बारे में भारत के उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू  केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग पर सहमति व्यक्त करते हैं। उप राष्ट्रपति कहते हैं कि वे संवैधानिक पद पर हैं। लेकिन, सरकार में नहीं हैं। फिर भी केंद्र सरकार के संबंधित मंत्री को बुलाकर वे इस विषय पर बात करेंगे और केंद्रीय विवि बनाने के लिए उनसे जो भी बन पड़ेगा,  वे करने में रुचि लेंगे। साथ ही उन्होंने बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल सह बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति फागू चौहान से कहा कि वे एक दिन समय निकालकर इस विश्वविद्यालय में आएं और यहां की आधारभूत संरचनाओं का अवलोकन करें। फिर जो भी आवश्यक हो, उसे अपने स्तर पर पूरा करें।

ऐसे में यह विडंबना ही है। जहाँ,  देश के उपराष्ट्रपति केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के लिए यथासंभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन कुछ असमाजिक तत्वों के कारण विश्वविद्यालय की छवि समय-समय पर धूमिल होती रहती है।

1 COMMENT

  1. शत् प्रतिशत सही कहा है आपने !
    आपके कथन का समर्थन करता हूँ कि जिस प्रकार से असामाजिक तत्वों द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं की गरिमा को धूमिल करने का प्रयास किया गया है वह निश्चित तौर पर अशोभनीय है। कैंपस के माहौल को संप्रदायिक रंग देने की कोशिशों को रोका जाना चाहिए।

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