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क्यों खास है सरस मेला

गांधी मैदान पटना के उत्तरी किनारे पर अवस्थित ज्ञान भवन में ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार द्वारा सरस मेले का आयोजन किया गया है।आयोजन का उद्देश्य यह है कि आधुनिक बाज़ार में स्वदेशी उत्पादों और इससे जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना है। मेले में घरेलू सामग्री और शिल्प कलाकृतियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं । ज्ञान भवन के आँगन की खूबसूरती बढ़ाने के लिए 110 स्टॉल लगाए गए हैं।

सरस मेले में खरीददारी करने आयी महिलाओं का कहना है कि यहाँ उत्पाद की गुणवत्ता अच्छी है। लेकिन, कीमत थोड़ी अधिक है | मेले में पहुंचे एक बुजुर्ग कहते हैं कि सरस मेला का आयोजन छोट -छोटे शहरों में भी होना चाहिए। जिससे की जीविका को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो। मेले में आये लोगो का कहना है कि यहाँ घरेलू उपयोग के लिए शुद्ध सामान उपलब्ध है, जो कि स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है | फैशन प्रेमी के लिए भी अलग-अलग डिज़ाइन में कपडे उपलब्ध है।

कितनी होती है कमाई

मेले में स्टॉल लगाने वाली जीविका किरण देवी कहती हैं जब मैं पिछली बार 14 सितम्बर 2018 को सरस मेला में आयी थी। जीविका के प्रयास से लोग घर से बाहर निकलकर यहाँ पहुँचते हैं। लोग अपने उत्पाद को बेचते हैं। तथा इसबार भी मुझे यहाँ आने का मौक़ा मिला है और अभी तक अच्छी बचत भी हुई है | प्रतिदिन लगभग 13 -14 हजार की बिक्री होती है। बचत करीब 50 % की हो जाती है। वे कहती हैं कि सरकार के तरफ से इस तरह के आयोजन होने चाहिए, ताकि लोग स्वदेशी उत्पाद भी उपभोग करते रहें।

मधेपुरा के रामबहादुर 1988 से जूता चप्पल बनाने का काम कर रहे हैं। लेकिन, विगत तीन वर्ष से सरस मेले में पहुँच रहे हैं। वे कहते हैं कि उत्पाद बनाने में जितना खर्च आता है,इतना मुनाफा हो जाता है,तथा सरकार के द्वारा भत्ता भी मिलता है

मेले में मखाना का स्टॉल लगाने वाली रूक्मणी देवी पहली बार सहरसा जिला के नौहट्टा गांव से सरस मेले में आयी हैं। उनका कहना है कि बचत ठीक-ठाक होती है। पहले दिन की कमाई 450 रूपये तथा दूसरे दिन 2000 रूपये की कमाई हुई और धीरे-धीरे यह बढ़ने लगी है।

आयोजक कहते हैं कि सरस मेला का उद्देश्य है कि छोटे-छोटे कस्बों से गरीब से गरीब महिलाओं समूह बनाकर उन्हें जागरूक करना। जीविका में 10 से 12 महिलाएँ होती है| 38 जिले के 358 ब्लॉक में जीविका का काम करती हैं। हर 4 महीने पर एक बैठक होती है तथा उन्हें ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए जाते है। इस सरस मेले में 110 स्टॉल लगाए गए हैं, तथा हर दिन आठ से 10 हजार लोग यहाँ पहुँचते हैं ।

निशा भारती