नई दिल्ली/पटना : हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन का एक बड़ा कारण किसानों का दर्द माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के हिमायती रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण वोटरों को लुभाने के लिए वे अब मास्टरस्ट्रोक लगाने की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसानों के लिए अरबों रुपये की कर्जमाफी का ऐलान कर सकते हैं। छत्तीसगढ़, एमपी और राजस्थान में कांग्रेस की जीत को विश्लेषक कंग्रेस के किसान कर्जमाफी के वादे से भी जोड़ रहे हैं। ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए अब यही दांव पीएम मोदी भी खेल दें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी में ज्ञात हुआ कि जल्द ही मोदी सरकार किसान कर्ज माफी के लिए धन के आवंटन की योजना पर काम शुरू कर देगी। बता दें कि भारत में करीब 26 करोड़ 30 लाख किसान हैं जो खेती के बल पर ही अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। पीएम मोदी की नजर इन्हीं किसान—वोटरों पर है।
2019 के मई या जून में लोकसभा चुनाव होने का अनुमान है। केंद्र सरकार के पास धान और गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने समेत अन्य लोक लुभावन योजनाएं घोषित करने के लिए समय तय किया जा रहा है। भाजपा के बिहार विधान परिषद सदस्य सच्चिदानंद राय कहते हैं कि लोकसभा चुनाव सिर पर है और भारतीय जनता पार्टी किसानों की समस्याओं से अवगत है। भाजपा शुरू से किसानों की हिमायती रही है। अगर किसान कर्जमाफी से संबंधित यदि कोई घोषणा की जाती है तो यह पार्टी के लिए अच्छी बात होगी।
सूत्रों ने बताया कि कर्ज माफी के तहत 56.5 अरब डॉलर या चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह अब तक की सबसे बड़ी कर्जमाफी योजना होगी। कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाली पिछली गठबंधन सरकार ने 2008 में लगभग 720000 करोड़ रुपये के कर्ज माफी की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद 2009 में बड़े जनादेश के साथ यूपीए सरकार को सत्ता में लौटने में मदद मिली थी। हालांकि मौजूद सरकार के सामने कर्ज माफी को लेकर कुछ दिक्कतें भी हैं। इससे देश का वित्तीय घाटा बढ़ेगा। सरकार ने चालू खाता घाटा लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 फीसदी रखा है।