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किसके हाथों बिहार भाजपा की कमान? पासवान, सच्चिदानंद रेस में!

पटना : बिहार में भाजपा की प्रचंड जीत का ईनाम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय को भी मिला। केंद्रीय कैबिनेट में गृह राज्य मंत्री के रूप में उन्हें शामिल किया गया। अब बिहार में नित्यानद की जगह प्रदेश अध्यक्ष के पद पर किसी नए और प्रभावी चेहरे को बिठाने की कवायद चल रही है। चूंकि अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में नए प्रदेश अध्यक्ष की महती भूमिका होगी। नए प्रदेश अध्यक्ष के कंधों पर बिहार असेंबली चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की जिम्मेदारी होगी।

भाजपा में इस अहम जिम्मेदारी के लिए कई नामों पर विचार चल रहा है। कुछ संभावित नामों को लेकर कयास और चर्चाओं का बाजार गर्म है। लेकिन नए अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले पार्टी कुछ प्रमुख बिंदुओं पर मंथन कर रही है। जाहिर है, इन केंद्रबिंदुओं के हिसाब से जो भी फिट बैठेगा, उसे ही बिहार के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

क्या हो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष चुनने का आधार

भाजपा अपनी ताकत पहचानती है और आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी कोई गलती नहीं करना चाहेगी। इसलिए उसने तीन पैमाने तय किये हैं। इन पैमानों के हिसाब से प्रदेश अध्यक्ष को चयनित किया जायेगा। पहला तो यह कि उसे सांगठनिक पृष्ठभूमि से जुड़ा होना चाहिए। यानी बिहार में अलग-अलग संगठनों के साथ, खासकर विश्व हिन्दू परिषद्, अखिल भारतीय विधार्थी परिषद् जैसे संगठनों पर उसकी मजबूत पकड़ हो। इसके अलावा दूसरी सबसे अहम बात ये है कि जातीय समीकरण का संतुलन भी बना रहे। केंद्र और राज्य में दिए गए पदों को लेकर जातीय गणित भी न बिगड़े। इसके लिए हो सकता है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी का कोई पिछड़ा/अतिपिछड़ा चेहरा सामने आए। चूंकि बिहार में जातीय गणित पर बहुत कुछ टिका होता है, इसलिए किसी भी निर्णय में इस पैमाने का ख्याल रखा जाता है। इसके अलावा स्वास्थ्य भी एक अहम फैक्टर हो सकता है। इसके अलावा इसबार बिहार में कुछ नए और युवा चेहरों पर भी दांव खेला जा सकता है।

…तो ये हैं तीन संभावित नाम

नए चेहरों में पहला नाम जो तमाम फैक्टर के हिसाब से संभावित है, वह संजय पासवान का हो सकता है। संजय पासवान वर्तमान में एमएलसी हैं और सांगठनिक संपर्क और प्रभाव भी काफी अच्छा है। इसके अलावा उनके साथ एक सकारात्मक पक्ष ये भी जुड़ा है कि वे दलित और अतिपिछड़ा समुदाय को आकर्षित कर पाने में सक्षम हैं। पार्टी के अंदर सबको मैनेज कर लेने की क्षमता भी इनको प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार बनाती है। दूसरा संभावित नाम प्रमोद चंद्रवंशी का हो सकता है जो काफी चौंकाने वाला होगा। सामंजस्य और तालमेल में माहिर प्रमोद चंद्रवंशी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होकर पार्टी को बड़ा फायदा पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा ब्रह्मजन समाज के नेता माने जाने वाले एमएलसी सच्चिदानंद राय भी इस कड़ी में शामिल हैं। सच्चिदानंद राय पार्टी के अंदर पकड़ बनाने में काफी सक्षम हैं और बिहार में सवर्ण चेहरे के रूप में वे सबसे योग्य और उभरते हुए राजनेता माने जाते हैं। वे एक मजबूत विकल्प जरूर हैं, मगर हालिया चुनाव में लोकसभा सीटों की उम्मीदवारी पर थोड़े नाराज़ हो गए थे जिसके बाद पार्टी के आलाकमान ने उन्हें मनाया।

इन तीनों के अलावा कई नामों की चर्चा चल रही है। बैकुंठपुर विधायक मिथिलेश तिवारी से लेकर दीघा विधायक संजीव चौरसिया तक के नामों पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऐसे में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बिहार में किसे कमान सौंपता है, ये देखना काफी दिलचस्प होगा। और यह भी कि क्या पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बिहार असेंबली इलेक्शन में भाजपा के लिए ‘लकी चार्म’ बन कर उभर पाएंगे।
सत्यम दुबे