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किसानों के सारे कर्ज माफ करे सरकार : किसान अधिकार मोर्चा

पटना : किसान अधिकार मोर्चा के तत्वावधान में बिहार कोऑपरेटिव फेडरेशन सभागार में आज एक प्रेसवार्ता में मोर्चा के संयोजक राजकिशोर ने सरकार से मांग की कि किसानों के सारे कर्जे माफ कर दिए जाएं। उन्होंने कहा कि बिहार की उन्नति कृषि और किसानों पर ही टिकी हुई है। जितना उन्नत और विकसित किसान होगा उतना ही ज्यादा बिहार भी बढ़ेगा। लेकिन अफसोस कि बात है कि सरकार जितनी भी योजना किसानों के लिए लाती है उसमें से नब्बे प्रतिशत से भी ज्यादा योजना केवल कागज़ी होती है। सिर्फ अखबारों, होर्डिंग्स और बैनर लगाकर सरकार अपनी वाहवाही करवाती है और अपनी बनाई योजना का ढिंढोरा पिटती है। किसानों के लिए कुछ भी नहीं हो रहा है। किसानों की बात न तो सरकार करती है और न ही कोई गैरसरकारी संघटन। प्रेसवार्ता के माध्यम से हम सरकार के समक्ष कुछ मांगे रखना चाहते हैं। यदि सरकार उन मांगो पर विचार करती है तो इससे बिहार के किसानों का बहुत भला होगा। हमारे किसान मोर्चा का उद्देश्य किसानों की आवाज़ को उठाना और उनका हित करना है। बिहार कोऑपरेटिव फेडेरेशन के अध्यक्ष विनय कुमार शाही ने कहा कि सरकार चाहे जितना दावा करे, जो कहे लेकिन ज़मीनी सच्चाई बहुत ही डरावनी है। इस देश में सबसे ज्यादा मेहनत किसान करता है और सबसे ज्यादा किसानों को ही दबाया जाता है। किसानों और कृषि पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया और इसका नतीजा ये हुआ कि आज बिहार रसातल में चला गया है। बिहार में प्रतिव्यक्ति आय पूरे देश मे सबसे कम है।शिक्षा का प्रतिशत में भी सबसे पीछे है। गरीबी के मामले में, गरीबी मिटाने के मामले में, और भुखमरी खत्म करने के मामले में आज बिहार बहुत पिछड़ गया है। इन सबके मूल में सिर्फ एक कारण है किसान और कृषि की अपेक्षा करना। उन्होंने कहा कि आज किसान अपना खेत बेचकर शहर भाग रहा है। खेती के लिए उसके पास समुचित साधन नहीं है। धान का सही मूल्य उन्हें नहीं मिल पाता है। मज़दूर भी गांव छोड़ रहे हैं और पलायन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें भी समुचित मजदूरी नहीं मिल पाती है। और मज़दूर न मिलने के चलते खेती प्रभावित हो रही है।
बिहार राज्य बहुराजीय भूमि विकास सहकारी बैंक के अध्यक्ष विजय सिंह ने बताया की हर हाल में किसान को उनका अधिकार दिलाना होगा। उन्होंने कहा कि आज किसान कर्ज के बोझ के तले दबे हुए हैं, सरकार को चाहिए कि किसानों के सारे कर्ज़ माफ कर दिए जाएं। और किसानों को भरपूर सहयोग और सहायता किया जाय। इससे किसानों को राहत मिलेगी। किसान जो अन्न उपजाता है उसका समुचित मूल्य तक उसे नहीं मिल पाता है इसलिए सरकार उन्हें दुगुना समर्थन मूल्य का भुगतान करे। अन्य राज्यों में किसानों को शून्य प्रतिशत शुद की दर पर ऋण मुहैया कराया जा रहा है । बिहार सरकार भी किसानों को ऐसा लाभ दे। स्वामीनाथन कमिटी की सभी अनुशंसाओं को लागू किया जाय। बड़ी इंडस्ट्री न होने की वजह से रोज़गार सृजन नहीं हो पा रहा है अतः गांव-देहातों में एग्रो बेस्ड छोटे-छोटे उद्योग की स्थापना हो। हम चाहते हैं कि सरकार जब भी किसानों के लिए कोई योजना बनाये तो उस नीति-निर्धारण में कृषि और किसानों के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएं।

(मानस दुबे)