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कर्ज वापसी में महिलाओं की ‘मौन क्रांति’ अव्वल

पटना : अधिवेशन भवन में आयोजित ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ शुरू करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जहां बड़े लोग बैंकों से कर्ज लेकर फरार हो जाते हैं वहीं बिहार की गरीब महिलाओं के छह लाख स्वयं सहायता समूहों ने 5,500 करोड़ का बैंक से कर्ज लिया जिसकी रिकवरी दर 98 प्रतिशत है। 2005 के बाद स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं की मौन क्रान्ति शुरू हुई है। गांवों में इसका बदलाव साफ दिख रहा है।

शराबबंदी के बाद 1 लाख निर्धनतम परिवारों को ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ के तहत आजीविका के लिए वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। जीविका के अन्तर्गत गठित सवा आठ लाख स्वयं सहायता समूहों के जरिए 96 लाख महिलाओं का सशक्तीकरण किया जा रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि शराबबंदी का निर्णय काफी कठिन था। दूसरे राज्य शराबबंदी करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। एक महिला ने ठीक ही कविता पढ़ी कि-‘ है चुनौती कठिन, उसके सामने झुकना नहीं… दूर है मंजिल, मगर बीच में रूकना नहीं… बढ़ते कदम, बढ़ते कदम…….।’ बिहार में केवल शराबबंदी ही नहीं हुई बल्कि परम्परागत तौर पर शराब के धंधे से जुड़े परिवारों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने की योजना भी शुरू की गई है।

उन्होंने कहा कि समाज के सबसे निर्धनतम वर्ग जिन्हें सप्ताह के कई दिन दोनों में शाम का भोजन नहीं मिल पाता है, का चयन इस योजना के अन्तर्गत करना आसान नहीं है। मिशनभाव और संवेदनशीलता के साथ ही इस कार्य को किया जा सकता है।