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कलश यात्रा के साथ बेगूसराय में शबरी समरसता कुंभ का आगाज

बेगूसराय : प्रखंड के कुशमहौत ग्राम में सुबह 10 बजे 108 कन्याओं के द्वारा कलश यात्रा का आयोजन विद्यालय प्रांगण से शुरू होकर पूरे गाँव का भ्रमण कर मंदिर परिसर में पहुंचा। कलश यात्रा के उपरांत आगत अतिथियों के द्वारा ध्वजारोहण तथा पूज्य संत राजेन्द्र सदा जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया। वहीं वनारस से आए हुए पंडितों के द्वारा माता शबरी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक रीति रिवाज से की गई। मौके पर सैकड़ों महिलाएं, पुरुष, बच्चे व स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

सामाजिक समरसता कुंभ

द्वितीय सत्र में सामाजिक समरसता कुंभ का उद्धघाटन क्षेत्र संघचालक माननीय सिद्धिनाथ सिंह जी, वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद, आरएसएस के उत्तर बिहार के प्रांत प्रचारक राम कुमार जी, प्रदेश उपाध्यक्ष, वनवासी कल्याण आश्रम अजय नारायण जी, सह क्षेत्र संगठन मंत्री विनोद जी, वनवासी कल्याण आश्रम के महिला सेल प्रांत प्रमुख ललित मुर्मू जी, वनवासी कल्याण आश्रम के विधा जी। के द्वारा दीप प्रज्वलित कर सामाजिक समरसता कुंभ का विधिवत सुभारम्भ किया गया। अंग वस्त्र, एवं मोमेंटो देकर आगत अतिथियों का स्वागत किया गया।

शबरी और संजीवनी नामक पुस्तक पर ओमप्रकाश प्राचार्य द्वारा रचित खंडकाव्य का विमोचन किया गया। उक्त काव्य में शबरी दर्शन एवं समरसता का तात्विक विश्लेषण किया गया। विषय प्रवेश करते हुए वनवासी कल्याण आश्रम के जिलाध्यक्ष शंभु कुमार ने वर्षों पहले शुरू किए हुए प्रकल्प की चर्चा की, तथा प्रांत समरसता प्रमुख अमरेंद्र कुमार उर्फ लल्लू बाबू के द्वारा पूर्व में किए हुए कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि आज कुसमहौत समाज की मुख्यधारा में कदम से कदम मिलाकर चलना शुरू कर दिया है।

सभा को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय प्रमुख सिद्धिनाथ सिंह ने कहा कि ‘गिरा अरथ जल बीच सम करी अति भिन्न न भिन्न बन्दउँ सीताराम पद जीनहीं परम प्रिय खिन्न ‘अर्थात जन जन के प्यारे हैं ऐसे प्रभु श्रीराम की आचरण के पूजा की आवश्यकता है ।शबरी के साथ उन्होंने जो व्यवहार किया उनके घर जाकर के उनकी समस्याएं सुनी और उनका उद्धार किया उसी प्रकार से कार्यक्रम आज समाज में चलाने की आवश्यकता है ।हम घर घर जाकर जो हमारे जन हैं और हम से किसी कारणवश मिले हुए हैं उनकी समस्याओं को हम सुने और उनके समाधान की दिशा में प्रयत्न करें तभी हम समरस समाज की संकल्पना कर सकेंगे।

वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय प्रमुख उपाध्यक्ष माननीय कृपा प्रसाद जी ने कहा कि समाज के वनवासियों को मुख्यधारा से जोड़ना और उनकी समस्याओं का निदान करना हम सभी भारत वासियों का कर्तव्य है। आज 11 करोड़ वनवासी हमारे बीच जल जंगल जमीन के बीच में रह रहे हैं और विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त हैं उनको राष्ट्र की मुख्यधारा में लाते हुए राष्ट्र के अनेक स्रोतों से उन्हें अवगत कराते हुए सुविधा की आपूर्ति करना हम सबका दायित्व है। सबसे अंत में सभा को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय प्रांत प्रमुख राम कुमार ने कहा कि आज समाज में रस का अंतर होता चला जा रहा है ।एकरस , समरस । विषमता विकृतियां पैदा करती हैं ।और समरसता समाज के गणमान्य लोग पैदा करते हैं ।समरसता जिस प्रकार से रक्त की धारा हमारे शरीर में सदैव प्रवाहित होती रहती है उसी प्रकार समाज में हर सुविधाएं समस्त व्यक्ति के लिए निरंतर प्रवाहित होते रहे। और उसका उसका रसास्वादन सभी लोग निरंतर करते रहे। यही समरसता का प्रतीक होगा ।