पटना: बिहार में भूमिहार ब्राह्मण एकता फाउंडेशन नाम से सामाजिक संगठन चलाने वाले आशुतोष कुमार ने राजनीति में एंट्री ले ली है। इसको लेकर आशुतोष ने राष्ट्रीय जन जन पार्टी की घोषणा करते हुए कहा कि बिहार के युवा किसान और मजदूर पिछले 30 वर्षों से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। इसी समस्या का हल करने तथा नया राजनीतिक विकलो देने के लिए हमलोगों ने राष्ट्रीय जन जन पार्टी बनाया है। जो बिहार के तमाम युवा, बेरोजगार, किसान व मजदूरों की समर्पित पार्टी है तथा जातिवाद और तुष्टीकरण से ऊपर उठकर विकास का काम करेगी।
ज्ञातव्य हो इससे पहले भूमिहार ब्राह्मण एकता फाउंडेशन के तरफ से नवंबर 2019 में पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष कुमार ने कहा था कि भूमिहारों और ब्राह्मणों को अगर राजनीतिक तौर पर नजरअंदाज किया गया तो हम खुद राजनीतिक विकल्प तैयार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। लेकिन, हमारे लिए समाज हमारी प्राथमिकता है, राजनीति नहीं। लेकिन, आज राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद अब अशुतोष कुमार के लिए प्राथमिकता समाज नहीं राजनीति हो गई है।
राजनीतिक पार्टी बनने से पूर्व इस संगठन पर हमेशा आरोप लगता रहता है कि यह बिहार में कांग्रेस की बी (B) टीम है! कांग्रेस के एक बड़े नेता के इशारे पर संगठन काम करता है। इससे पहले भी 2019 के आम चुनाव में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार नीलम देवी के समर्थन में इस संगठन का नाम आया था जिसके कारण लोग यह कहने लगे थे कि इस संगठन के लोगों का झुकाव कांग्रेस के तरफ है।
नवंबर 2019 में जब इस संगठन के द्वारा गाँधी मैदान में रैली किया गया था तो उसमें यह कहा जा रहा था कि रैली में 5 लाख से अधिक लोग जुटेंगे। लेकिन, हालत ऐसी रही कि जाति की ठेकेदारी करने वाले इस संगठन ने पूरे भूमिहार और ब्राह्मण जाति की फजीहत करा दी थी। इस रैली में मुश्किल से 5 हजार लोग भी नहीं जुट पाए थे।जिससे यह साफ़ प्रतीत हो रहा था कि भूमिहारों का पोस्टर बॉय बनने की चाहत रखने वाले आशुतोष कुमार को देश के भूमिहार और ब्राह्मण ने सिरे से नकार दिया था।
हालांकि, रैली में आये तमाम लोगों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर रखा था। नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ वोट लेकर यूज करते हैं, इसलिए आरक्षण का आधार गरीबी, सवर्ण आयोग को संवैधानिक दर्जा, जिला व राज्य स्तर पर परशुराम छात्रावास का निर्माण, युवाओं पर झूठे एफआइआर की वापसी व सवर्ण बहुल पंचायतों को आरक्षण मुक्त करने की बात कही। अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाला संभावित 2020 के विधानसभा चुनाव में सुशासन की सरकार को जवाब दिया जाएगा। इसको लेकर संगठन ने नीतीश सरकार को 6 माह का वक्त दिया था। लेकिन, 6 माह बीत जाने के बाद सरकार के तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया।