नयी दिल्ली : तालिबानी कब्जे के बाद भारत काबुल से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के मिशन पर सक्रिय हो गया है। हालांकि संकेत हैं कि फिलहाल वहां के भारतीय दूतावास को बंद नहीं किया जाएगा। बद से बदतर होते हालात के बीच भारतीय वायुसेना के दो C-17 ग्लोबमास्टर विमान एक के बाद एक चक्कर लगाकर काबुल से भारतीयों को लाने लगे हैं। कहा गया है कि ये दोनों विमान अभी काबुल के कई चक्कर लगाएंगे।
सैन्य अभियान होगा अंतिम विकल्प
नयी दिल्ली सरकार अफगानिस्तान में भारतीय नागरिकों के संपर्क में है। अफगान सिख और हिंदू समुदाय के प्रतिनिधियों से भी सरकार संपर्क साध रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “जो लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, हम भारत आने में उनकी मदद करेंगे।” इसबीच खबर है कि अपने लोगों को वहां से निकालने के लिए किसी भी सैन्य अभियान को फिलहाल आखिरी विकल्प के तौर पर रखा गया है। सरकार इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं हैं कि सैन्य बचाव अभियान चलाया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि ऐसे किसी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिहाज से काबुल में काफी अनिश्चितता है। फिर भी किसी विकल्प को खारिज नहीं किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने जताई चिंता
इसबीच भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की आपात बैठक की अध्यक्षता करते हुए साफ कहा कि विश्व को अफगानिस्तान से दूसरे देशों पर आतंकियों की संभावित कार्रवाई को रोके जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करना होगा। आतंक पर कुछ देश दोहरा रवैया रखते हैं तथा गुड आतंकी और बैड आतंकी की बात करते हैं। हमें ऐसे देशों और आतंकी ताकतों को हर हाल में रोकना होगा। तभी दुनिया सुरक्षित रह पाएगी। UN में भारत के एंबेस्डर, टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अगर ये सुनिश्चित किया जाता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा किसी दूसरे देश को धमकाने या हमला करने के लिए नहीं किया जाता है, तो पड़ोसी क्षेत्र समेत पूरी दुनिया सुरक्षित महसूस करेंगी।