पटना : मज़दूरों को अपनी एकता और भविष्य की चिंता करनी पड़ेगी। ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम तो मज़दूरी कर रहे हैं हमारे बच्चे भी मज़दूरी ही करते रहें। मज़दूरों को भी अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर उनका भविष्य संवारना चाहिए। ये बातें अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर दीघा विधानसभा के विधायक संजीव चौरसिया ने कही।
संजीव चौरसिया ने कहा कि मज़दूर मेहनतकश होते हैं और उन्हें समाज को जोड़ने की कड़ी के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जितनी भी सरकार की योजनाएं हैं उसका लाभ उन्हें उठाना ही चाहिए। उन्होंने कि अगर आप अपनी लड़की को पढ़ाएंगे तो जिस घर मे वो जाएगी वो घर आगे बढ़ेगा।वहीं संस्था की डोरोथी फर्नाडीज ने कहा कि अब मज़दूरों को मज़दूर नहीं सेवा प्रदाता कहें। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस एक ऐसा दिन है जब मज़दूर सभी काम से छुट्टी लेकर इकट्ठा होते हैं। सारे शहरों को खूबसूरत बनाने का काम मज़दूर करते हैं। जितने भी अपार्टमेंट, सड़कें बनती हैं सब मज़दूरों के द्वारा ही बनाया जाता है। चाहे जाड़ा हो या गर्मी या बरसात मज़दूर रात-दिन निर्माण का काम करते रहते हैं। इसलिए उन्हें सेवा प्रदाता कहकर बुलाया जाना चाहिए। डोरोथी फ़र्नान्डिस ने कहा कि बहुत ही दुख की बात है कि जो मज़दूर रात-दिन दूसरों का घर बनाते हैं लेकिन खुद के लिए छत तक नहीं बना पाते है। ये बहुत बड़ा सवाल है और इस सवाल को उठाना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब तक मज़दूरों में एकता नहीं होगी और संगठन की ताकत को नहीं पहचानेंगे तब तक उनको अपने अधिकार का पता ही नहीं चलेगा।
डोरोथी फ़र्नान्डिस ने कहा कि मज़दूरों में अपना अधिकार मांगने की ताकत ही नहीं है। ये हिम्मत जुटाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मज़दूरों के लिए ,उनके बच्चों के लिए और उनके रहने के लिए सरकार की तरफ से व्यवस्था की गई है लेकिन जागरूकता के अभाव में इसे पाने से वे वंचित रह जाते हैं। आगे उन्होंने कहा कि श्रम विभाग में सेस के माध्यम से कुछ परसेंट पैसे इकठ्ठे होते हैं। दुनिया मे बहुत परिवर्तन हो रहा है और मज़दूरों को एक होकर अपना हक मांगना होगा।
मधुकर योगेश