पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में कई पूर्व निर्धारित समीकरण ध्वस्त हो सकते हैं तो कई चेहरे मुख्यधारा से हाशिए पर भी लुढ़क सकते हैं।
समीकरण का मतलब यहां चुनाव के मद्देनजर बनाईं जा रही योजनाओं से है। फिर चाहे वह दलगत स्थिति की बात हो या उम्मीदवार चयन की। छात्रसंघ का चुनाव इस बार बिल्कुल अलग होगा। हर बार से अलग इस चुनाव में पिछले चुनाव की तरह कोई शोर शराबा नहीं है विश्वविद्यालय का माहौल बिल्कुल शांत है, विश्वविद्यालय के अधिकांश छात्रावास बंद है, पप्पू और रंजीता कैंटीन भी इसबार बंद है।
जदयू है अभाविप के लिए रूकावट
दरअसल, पिछले चुनाव में छात्र जदयू के मोहित प्रकाश, जिन्होंने रिकॉर्ड 1200 मतों से अभाविप के अभिनव कुमार को हराया। पटना विवि छात्रसंघ चुनाव कई मायनों में काफी अहम रहा। 2017- 2018 सत्र का चुनाव काफी विवादित रहा था जब अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज की डिग्री को फर्जी करार दिया गया। वहीं उपाध्यक्ष चुन कर आईं योषिता पटवर्धन को गलत जानकारी देने के संबंध में निलंबित कर दिया गया था । 2018 -2019 लगातार दूसरा वर्ष था जब चुनाव होने थे और चुनावी शंखनाद आरम्भ होते ही शुरू हुई जदयू की राजनीति।
पीयू टू सीयू
प्रशांत किशोर के नेतृत्व में छात्र जदयू जो कैंपस में काफी समय से तो थी पर कभी सक्रिय नहीं दिखी, अचानक पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग को ले कर मैदान में कूद पड़ी। छात्र जदयू ने शुरू की ‘पीयू टू सीयू’ (पटना विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय) की कैंपेनिंग शुरू की। छात्र जदयू को इस कैंपेनिंग से दो फायदे हुए पहला उन्होंने छात्र जदयू की आवाज को विश्वविद्यालय की आवाज बना खुद को छात्रहितों के लिए लड़ने वाले दल के रूप में पेश किया और दूसरा उन्हें विश्वविद्यालय के तकरीबन आधे से अधिक आबादी के संपर्क नंबर प्राप्त हुए जिसका इस्तेमाल चुनाव प्रचार के दौरान खूब किया गया था छात्रों से संपर्क किये गए और विश्वविद्यालय में तकनीकी माध्यमों से प्रचार कर जदयू में शामिल करने की कवायद तक चला। प्रशांत किशोर जिन्हें पॉलिटिकल मर्चेंट भी कहा जाता है। जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री का जनसंपर्क किया हो, छात्र-राजनीति में दिलचस्पी लेते पीके ने जदयू में अपने कद को बड़ा किया, जिसके कारण मुख्यमंत्री के लेफ्ट और राइट कहे जाने वाले ललन सिंह और आरसीपी सिंह भी सकते में आ गए थे।
छात्रदलों के बीच झड़प
चुनाव की तारीख तय हुई, सभी दल और छात्रनेता जी-जान से तैयारियों में लगे रहे। जदयू ने शरुआत में ही एक चाल चली और पिछले सत्र के निर्वाचित अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज को जदयू में शामिल कर विश्वविद्यालय का स्टार प्रचारक बनाया। इससे काफी विवाद भी हुए। अभाविप संगठन के करीबी कार्यकर्ता जो दिव्यांशु भारद्वाज का साथ दे रहे थे उन्होंने कन्नी काट ली। इसके बाद उम्मीदों के अनुसार विवि छात्रसंघ चुनाव विवादों से घिरता रहा। छात्रदलों के बीच झड़पें होती रहीं और सबसे महत्पूर्ण विवाद इसी बीच सामने आया था , जब पूर्व अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज के साथ पटना वीमेन्स कॉलेज के सामने मारपीट की गई। जिसके बाद दिव्यांशु भारद्वाज ने अभाविप के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अभिनव समेत कई कार्यकर्ताओं पर F.I.R किया।
पीके पर खरीद-फरोख्त का इल्जाम
इसी बीच विश्वविद्यालय का माहौल अचानक गर्म हो था , जब जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर 3 दिसंबर (अध्यक्षीय संवाद) की शाम कुलपति आवास पहुंच गए थे। छात्रों ने आवास को घेर नारेबाजी शुरू कर दी। छात्रों ने पीके पर खरीद-फरोख्त के इल्जाम लगाए। हालांकि, प्रशांत किशोर ने कहा कि वे कुलपति से अपने कुछ रिश्तेदारों को मिलाने आये थे। देर रात प्रशांत किशोर की गाड़ी पर निकलते वक्त छात्रों ने पथराव किया और पुलिस प्रशासन जो काफी संख्या में मौजूद थी उसने लाठीचार्ज कर दिया। कुछ छात्र नेताओं ने गिरफ्तारी भी दी और कुछ को चोटें भी आईं थी।
वहीं जदयू के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मोहित प्रकाश पूरे चुनाव चोटों से उबर नहीं पाए थे। कभी घटनाग्रस्त चोटें आईं तो कभी वे किसी घटना के शिकार स्वयं हुए। चुनाव प्रचार के लिए मोहित रानीघाट स्थित हथुआ छात्रावास गए, जहां गार्ड के साथ आए मोहित को देख छात्रावास के छात्र और जाप के कार्यकता भड़क गए और उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया था । इस हमले में मोहित प्रकाश के सुरक्षाकर्मियों के एसयूवी क्षतिग्रस्त हो गई थी।
प्रशांत किशोर का मास्टरकार्ड
इन सभी विवादों से परे प्रशांत किशोर ने एक मास्टरकार्ड खेला और वह था जदयू की महिला कॉलेजों पर पकड़। पटना विश्वविद्यालय में दो महिला कॉलेज हैं, जिनमें छात्राओं की संख्या 8000 के आसपास है। क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने वोटिंग करने वाली छात्राओं की हाजिरी देने का ऐलान कर दिया था। प्रशांत किशोर और छात्र जदयू ने महिला कॉलेजों पर पहले से अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया था। जरूरत थी तो बस नजर रखने की। जदयू से महासचिव पद की उम्मीदवार अदिति शाह पटना वीमेन्स कॉलेज की छात्रा थी जिसकी बदौलत कॉलेज के अंदर जदयू खेमे का प्रचार आसान हो गया था। मगध महिला महाविद्यालय की प्राचार्य जदयू नेताओं के करीबी हैं। बाकी दल और छात्र नेताओं को प्रचार की अनुमति बड़ी मुश्किल से मिलती थी। तमाम विवादों के बीच जब अन्य छात्र दल पटना विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेजों, छात्रावासों और विवादों में फसे हुए थे तब जदयू टीम अंदर ही अंदर महिला कॉलेजों में अपने वोट बैंक को मजबूत बना रहा था।
सारे फैक्टर्स जो विश्वविद्यालय चुनाव में निकल कर सामने आए वो छात्रों और छात्रदलों के लिए काफी नया था । छात्र जदयू जिसका विश्वविद्यालय में कोई कैडर वोट नहीं था वही जदयू अध्यक्ष पद पर मोहित प्रकाश और कोषाध्यक्ष पद पर कुमार सत्यम विजयी हुए थे ।
छात्र संघ का परिणाम आने के पहले मोहित प्रकाश के पिता अशोक राजपथ पर अपने समर्थकों के साथ महंगी गाड़ियों के साथ जीत का जश्न मनाने पहुँच गए थे। परिणाम क्या आने वाला है यह बात मोहित प्रकाश के पिता को पहले से पता था।