बेतिया: कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री के मन की बात को बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने बूथ सप्तऋषियों के साथ मन की बात को सुना। कोरोना के प्रभाव से हमारी ‘मन की बात’ भी अछूती नहीं रही है। जब मैंने पिछली बार आपसे ‘मन की बात’ की थी, तब, passenger ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी। इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है, श्रमिक special ट्रेनें चल रही हैं, अन्य special ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीधीरे रे-उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है। ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। दो गज की दूरी का नियम हो, मुँह पर mask लगाने की बात हो, हो सके वहाँ तक, घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन, उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।
देश में, सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है। जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, तो, हमें अनुभव होता है कि वास्तव में भारतवासियों की उपलब्धि कितनी बड़ी है। हमारी जनसँख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है। हमारे देश में चुनौतियाँ भी भिन्न प्रकार की हैं, लेकिन, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फ़ैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला। कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है।
जो नुकसान हुआ है, उसका दुःख हम सबको है। लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर, देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है। इतने बड़े देश में, हर-एक देशवासी ने, खुद, इस लड़ाई को लड़ने की ठानी है, ये पूरी मुहिम people driven है।
साथियो, हमारे डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब, जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है। ‘मन की बात’ में भी मैंने उसका जिक्र किया है। सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है।
ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी. मोहन। सी. मोहन जी मदुरै में एक saloon चलाते हैं। अपनी मेहनत की कमाई से इन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए पांच लाख रूपये बचाए थे, लेकिन, इन्होंने ये पूरी राशि इस समय जरुरतमंदों, ग़रीबों की सेवा के लिए, खर्च कर दी।
इसी तरह, अगरतला में, ठेला चलाकर जीवनयापन करने वाले गौतमदास जी अपनी रोजमर्रा की कमाई की बचत में से, हर रोज़, दाल-चावल खरीदकर जरुरतमंदों को खाना खिला रहे हैं।कई बार समय की कमी के चलते, मैं, बहुत से लोगों का, बहुत से संगठनों का, बहुत सी संस्थाओं का, नाम नहीं ले पाता हूँ। सेवा-भाव से, लोगों की मदद कर रहे, ऐसे सभी लोगों की, मैं प्रशंसा करता हूँ, उनका आदर करता हूँ, उनका तहेदिल से अभिनन्दन करता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, एक और बात, जो, मेरे मन को छू गई है, वो है, संकट की इस घड़ी में innovation। तमाम देशवासी गाँवों से लेकर शहरों तक, हमारे छोटे व्यापारियों से लेकर startup तक, हमारी labs कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, नए-नए तरीके इज़ाद कर रहे हैं, नए-नए innovation कर रहे हैं।
जैसे, नासिक के राजेन्द्र यादव का उदाहरण बहुत दिलचस्प है। राजेन्द्र जी नासिक में सतना गाँव के किसान हैं। अपने गाँव को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए, उन्होंने, अपने tractor से जोड़कर एक sanitization मशीन बना ली है, और ये innovative मशीन बहुत प्रभावी तरीके से काम कर रही है।
इसी तरह, मैं social media में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े pipeline लगा लिए हैं, जिसमें, एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक, अपना सामान ले लेते हैं।
इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग innovation शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। online classes, video classes, उसको भी, अलग-अलग तरीकों से innovate किया जा रहा है। कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी labs में, जो, काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नज़र है और हम सबकी आशा भी।
किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए, इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ innovation पर भी निर्भर करता है। हजारों सालों की मानव-जाति की यात्रा, लगातार, innovation से ही इतने आधुनिक दौर में पहुँची है, इसलिए, इस महामारी पर, जीत के लिए हमारे ये विशेष innovations भी बहुत बड़ा आधार है।
एक तरफ़ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ़, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में Super Cyclone अम्फान का कहर देखा। तूफ़ान से अनेकों घर तबाह हो गए। किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है – प्रशंसनीय है। संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है।
साथियो, एक तरफ़ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीँ दूसरी तरफ़, देश के कई हिस्से टिड्डियों या locust के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है। भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ़ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा हम बार-बार सुनते हैं ‘जल है तो जीवन है – जल है तो कल है’, लेकिन, जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है। वर्षा का पानी, बारिश का पानी – ये हमें बचाना है, एक-एक बूंद को बचाना है। गाँव-गाँव वर्षा के पानी को हम कैसे बचाएँ? परंपरागत बहुत सरल उपाय हैं, उन सरल उपाय से भी हम पानी को रोक सकते हैं I पाँच दिन – सात दिन भी अगर पानी रुका रहेगा तो धरती माँ की प्यास बुझाएगा, पानी फिर जमीन में जायेगा, वही जल, जीवन की शक्ति बन जायेगा और इसलिए, इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें।
उन्होंने कहा स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय हैI इसलिए, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी I मेरा आपसे अनुरोध है कि इस ‘पर्यावरण दिवस’ पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए कुछ ऐसा संकल्प अवश्य लें जिससे प्रकृति के साथ आपका हर दिन का रिश्ता बना रहे I हाँ! गर्मी बढ़ रही है, इसलिए, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना मत भूलियेगा।
साथियो, हम सबको ये भी ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिन तपस्या के बाद, इतनी कठिनाइयों के बाद, देश ने, जिस तरह हालात संभाला है, उसे बिगड़ने नहीं देना है I हमें इस लड़ाई को कमज़ोर नहीं होने देना है I हम लापरवाह हो जाएँ, सावधानी छोड़ दें, ये कोई विकल्प नहीं है I कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई अब भी उतनी ही गंभीर है। आपको, आपके परिवार को, कोरोना से अभी भी उतना ही गंभीर ख़तरा हो सकता है I हमें, हर इंसान की ज़िन्दगी को बचाना है, इसलिए, दो गज की दूरी, चेहरे पर मास्क, हाथों को धोना, इन सब सावधानियों का वैसे ही पालन करते रहना है जैसे अभी तक करते आए हैं I मुझे पूरा विश्वास है, कि आप अपने लिए, अपनों के लिए, अपने देश के लिए, ये सावधानी ज़रूर रखेंगे I इसी विश्वास के साथ, आपके उत्तम स्वास्थ्य के लिए, मेरी, हार्दिक शुभकामनायें हैं I अगले महीने, फिर एक बार, ‘मन की बात’ अनेक नए विषयों के साथ जरुर करेंगे।