कृषि विविधीकरण को मूर्त रूप देने के लिए प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ मंगला तथा अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने किया स्थल का निरीक्षण
– लगभग 250 हेक्टेयर खेत में विविध प्रकार के फसल लगाने को लेकर हर प्रकार की सुविधा कराई जाएगी उपलब्ध
नवादा : नवादा जिले के सिरदला प्रखंड स्थित सांढ मंझगावा पंचायत के लक्ष्मीबिगहा और मुगलसराय गांव के किसानों के अच्छे दिन आने वाले हैं। दोनों गांव के लगभग 250 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा फोकस इन 2 गांव में होगा। मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार तथा देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ मंगला राय के नेतृत्व में कृषि विशेषज्ञों की टीम ने गांव का दौरा करके स्थानीय किसानों से बातचीत की। इस दौरान कृषि विभाग की पूरी जिला टीम के अलावे जिला कृषि विज्ञान केंद्र सेखोदेवरा कौवाकोल से जुड़े कृषि वैज्ञानिक भी मौजूद रहे।
नवादा जिला का सिरदला प्रखंड का कई क्षेत्र सेमी ड्रॉट एरिया में आता है जहां पर पर्याप्त वर्षा नहीं होती है। इस अर्द्ध सूखा क्षेत्र में किसानों को खेती की पर्याप्त सुविधा और संसाधन उपलब्ध हो इसके लिए भारत सरकार की कृषि विविधीकरण (क्रॉप डायवर्सिफिकेशन) किसानों को बंपर लाभ देने के अलावा प्राकृतिक सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाना है। मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार और कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा रखने वाले डॉक्टर मंगला राय ने पूरे क्षेत्र का अवलोकन करके यहां पर सुविधाओं को उपलब्ध कराने संबंधित निर्देश दिए।
वर्षा जल को संचित करते हुए क्षेत्र में सिंचाई के लिए पर्याप्त नहर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने, भूमिगत जल का भी इस्तेमाल सिंचाई के दौरान करने के लिए क्षेत्र में सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही गई। सिरदला प्रखंड के लक्ष्मीमुगलसराय और मुगलसराय गांव के लोगों से मिलकर भी किसानों का फीडबैक लिया। इस दौरान पंचायत क्षेत्र के मुखिया उषा कुमारी और सरपंच आशा देवी को भी सम्मानित किया गया।
सरकार की फसल विविधीकरण योजना का मिलेगा लाभ
जिला कृषि पदाधिकारी संतोष कुमार सुमन ने जानकारी देते हुए बताया कि विविधीकरण को बढ़ावा देने और कृषि पद्धतियों में कुछ चुनिंदा फसलों पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किया गया एक प्रमुख कार्यक्रम है। इस योजना का उद्देश्य वैकल्पिक फसलों की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय में सुधार करना और उनकी कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना है। यह योजना 2015-16 में शुरू की गई थी और यह राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का एक हिस्सा है।
पारंपरिक फसलों को मिलेगा महत्व
फसल विविधीकरण योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसानों को पारंपरिक फसलों से वैकल्पिक फसलों की ओर स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करना है जो अधिक लाभदायक हैं और जोखिम कम हैं. यह योजना किसानों को फलों, सब्जियों, दालों, तिलहन और मसालों जैसी वैकल्पिक फसलों की खेती के लिए वित्तीय सहायता मिलेगी।
सरकार किसानों को विभिन्न गतिविधियों जैसे बीज वितरण, मिट्टी परीक्षण, जैविक खेती, कृषि मशीनीकरण और अन्य आदानों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी. किसानों को अपनी फसल सुरक्षित रखने के लिए गांव में ही कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था, राष्ट्रीय स्तर का बाजार लिंक उपलब्ध कराना भी इस योजना के तहत शामिल है। नवादा में आदर्श खेती के मॉडल के रूप में इन दोनों गांव के छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद है जो फसल की विफलता के प्रति संवेदनशील हैं और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए संसाधनों की कमी है।
फसल विविधीकरण को बढ़ावा देकर किसानों को आर्थिक लाभ देने के साथ ही पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा। जल संचय से वाटर लेवल में बढ़ोतरी होगी और स्थानीय लोगों को पेयजल की सुविधा में भी लाभ मिलेगा। फसल विविधीकरण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को कम कर सकता है और स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दे सकता है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार करेगा, कीट और रोग की घटनाओं को कम करेगा।
अधिकारी रहे मौजूद
आईसीआरआईएसएटी (इक्रिसैट) हैदराबाद के भी कई बड़े रिसर्चर और कृषि वैज्ञानिक इस दौरान मौजूद रहे। जिला कृषि पदाधिकारी संतोष कुमार सुमन के अलावे कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर,असिस्टेंट डायरेक्टर, असिस्टेंट इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर साइल कंजर्वेशन, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, बीडीओ सिरदला, कृषि विज्ञान केंद्र सेखोदेवरा के कृषि वैज्ञानिक, स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि दिनेश कुमार, सरपंच प्रतिनिधि बिरेंद्र प्रसाद के अलावे कई ग्रामीण मौजूद रहे।
विशाल कुमार की रिपोर्ट