मुंबई में 15 दिनों के प्रशिक्षण के लिए श्रेष्ठ 5 प्रतिभागियों का हुआ चयन
बिहार-झारखंड के कुल 40 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
पटना : किसी भी फिल्म के लोकप्रिय होने के लिए उसकी पहली शर्त है सुलझी हुई कहानी और एक लॉजिक के साथ लिखी गई पटकथा । लॉजिक के अभाव में निरर्थक फिल्मों को हर हालत में फ्लॉप ही होना है । तेज़ाब, सौदागर, दिल, रंग दे बसंती और जज्बा जैसी सुपरहिट फिल्मों के पटकथा लेखक कमलेश पांडेय ने उक्त बातें रविवार को कहीं। वे पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला के अंतिम दिन पटकथा लेखन विषय पर बोल रहे थे।
अपने वर्चुअल संबोधन में कमलेश पांडेय ने हाल में रिलीज कई हिंदी फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा कि फिल्में जीवन को उत्साह के साथ जीने के लिए प्रेरित करने व देशप्रेम से ओतप्रोत करने के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि कुछ निर्माता-निर्देशक महज धन के लोभ में आकर अर्थहीन कहानियों को फूहड़ अंदाज में परोसते हैं। हालांकि भारत का दर्शक उनकी वैसी गलती का जवाब भी देता है जब उस प्रकार की अर्थहीन फिल्में पिट जाती हैं।
इससे पूर्व कला निर्देशक उदय सागर ने कहानी की मांग के अनुसार किरदारों के मेकअप के महत्व को डेमो के माध्यम से दिखाया। फिल्मकार कार्तिक ने डिजिटल युग में नए उपकरणों की सहायता से फिल्म शूटिंग के महत्व को बताया। अभिनेता सचिन मिश्रा ने नाटक और सिनेमा के अभिनय में अंतर हो अभ्यास करके समझाया।
कार्यशाला की समाप्ति के बाद सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए और मुंबई में 15 दिन के विशेष प्रशिक्षण के लिए श्रेष्ठ 5 प्रतिभागियों का चयन किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन सोसायटी के संयोजक प्रशांत रंजन ने किया, वहीं सिने सोसाइटी के अध्यक्ष आनंद प्रकाश नारायण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर भारतीय चित्र साधना के न्यासी अरुणा अरोड़ा, फिल्मकार रितेश परमार, रंगकर्मी संजय सिन्हा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।