पटना : पूरी दुनिया में हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन को तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने का मकसद लोगों को तंबाकू से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरुक करना है।
इस कड़ी में मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान पटना में कैंसर पीड़ित रोगियों के बीच प्रज्ञा प्रवाह की इकाई चिति और आपन माटी बिहार ने संयुक्त रूप से एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि स्वामी चक्रपाणि जी, मोहन कुमार जी, कृष्ण कांत ओझा, प्रोफेसर किस्मत कुमार,पटना एम्स के निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय मौजूद रहे। वहीं, इस कार्यक्रम का उद्घाटन अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान में के कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जगजीत कुमार पांडेय ने किया।
कैंसर मरीजों के बीच फल वितरण
वहीं, इस प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान एम्स के निदेशक, उप निदेशक और तमाम डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने स्वामी चक्र पाणी, मोहन कुमार सिंह, कृष्ण कांत ओझा, किस्मत कुमार सिंह के साथ मिलकर कैंसर के रोगियों के बीच फल का वितरण किया और रोगियों से उनके स्वास्थ्य के विषय में जानकारी ली।
पुरानी सभ्यता को छोड़कर नई सभ्यता से जुड़ रहे लोग
वहीं, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ मोहन सिंह जी ने कहा कि आज तंबाकू के उपयोग से ही लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ रहा है, इसका प्रमुख कारण है कि लोग अपनी पुरानी सभ्यता को छोड़कर नई सभ्यता से जुड़ रहे हैं। पहले के लोग तंबाकू का उपयोग नहीं करते थे। इसके अलावा आज पुराने कांसा, पीतल के बर्तनों को छोड़ प्लास्टिक के वस्तुओं का उपयोग कर रहे हैं इस कारण से लोगों के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग थे जो पुराने जमाने में खैनी का उपयोग करते थे लेकिन उसकी खेती भी खुद करते थे और सबसे अहम बात यह था कि उसमें किसी तरह के केमिकल का उपयोग नहीं करते थे, इसलिए खतरा बेहद कम होता था, लेकिन आज तंबाकू में बेहद तेजी से कैमिकल का उपयोग हो रहा है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
इसलिए सभी लोगों को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम लोग किसी भी केमिकल से बने हुए चीजों को किसी भी रूप में अपने शरीर में प्रवेश करने नहीं देंगे।
सबसे पहले शरीर पर दें ध्यान
इसके साथ ही चिति के संयोजक कृष्ण कांत ओझा ने कहा कि हमसे सबसे पहले अपने शरीर और मन पर ध्यान देना चाहिए यदि हमारा शरीर स्वस्थ स्वस्थ है तो हमारा मन तंबाकू के उपयोग के तरफ नहीं जाएगा। कुछ लोग तंबाकू से होने वाले रोगों को लेकर भगवान को दोषी मानते हैं। लेकिन हमारे धर्म में कहा गया है कि में हमारे धर्म के लक्षण को अपने व्यवहार में उतारना चाहिए इससे लोगों में किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होती है। उन्होंने धर्म के दस लक्षण धृति, क्षमा, दम,अस्तेय , शौच, इन्द्रिय निग्रह ,धी, विद्या के मूल अर्थ को जानने पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य इन चीजों का ध्यान रखे तो उसे कभी भी तंबाकू सेवन की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी और किसी बीमारी से सामना नहीं करना पड़ेगा।
तंबाकू धीरे – धीरे करता है शरीर को खोखला
वहीं, इन दोनों के बीच वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किस्मत कुमार सिंह ने अपने जीवन काल में तंबाकू के उपयोग से जुड़ी यादों पर विमर्श करते हुए कहा कि तंबाकू धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देता है और इसका उपयोग कैंसर को निमंत्रण देता है। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि हम इसके शुरुआती लक्षणों को तुरंत पकड़ लें तो हम इस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इसके लिए सबसे अहम है कि हमें अपने भीतर या संबल जगाना होगा कि हम कैंसर को मात दे सकते हैं, फिर हम विजय जरूर प्राप्त करेंगे।
तंबाकू सिर्फ कैंसर को ही नहीं, अन्य बीमारियों को भी देता है निमंत्रण
वहीं, इसी दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद आयुर्वेद संस्थान पटना के मनोरोग विभाग के चिकित्सक डॉक्टर पंकज कुमार ने कहा कि तंबाकू सिर्फ कैंसर को ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के बीमारियों को निमंत्रण देता है और हम अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी रूप में तंबाकू का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि तंबाकू से डायबिटीज ब्रेन स्ट्रोक और भी कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है इसलिए सबसे जरूरी है कि हम इसका प्रयोग ना करें और इसको छोड़ने के लिए आत्ममंथन पर विशेष ध्यान दें और हम खुद से यह सवाल करें कि क्या हमारे लिए यह जरूरी है और जब इसका जवाब मिल जाए तो फिर निर्णय लें।
डॉक्टर ने बताया पहले से बढ़ा है कैंसर मरीजों की संख्या
इसके साथ ही इस कार्यक्रम का मंच मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान में के अनुसार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जगजीत कुमार पांडेय ने कहा कि वर्तमान में तंबाकू के उपयोग से कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है स्थिति इतनी भयावह है कि पटना के एम्स में हर दिन सैकड़ों मरीज अपने इलाज के लिए आते हैं। इसलिए सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि आखिरकार हम इस पर खुद से रोक कैसे लगाए, इसका जवाब मात्र एक है की हम तंबाकू को न कहें। वहीं, इसके साथ ही उन्होंने इस कार्यक्रम में आए तमाम अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन भी किया।