मोदी सरकार ने हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड की इकाई गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी के लिये नई निवेश नीति को दी मंजूरी
दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उर्वरक विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के तीन संयंत्रों जिसमें गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी के लिये नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012 की प्रयोजनीयता को विस्तार देने की बात कही गई है।
सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि बंद पड़े यूरिया संयंत्रों को दोबारा चालू किया जाना है, ताकि यूरिया सेक्टर में आत्मनिर्भता प्राप्त की जा सके। तीनों संयंत्रों के चालू हो जाने से देश में 38.1 एलएमटीपीए स्वदेशी यूरिया उत्पादन बढ़ जायेगा। इस परियोजना से न केवल किसानों को उर्वरक की उपलब्धता में सुधार आयेगा, बल्कि देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सड़क, रेल, सहायक उद्योग आदि जैसे अवसंचरना विकास सहित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी।
इन तीनों इकाइयों में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं। इनका उद्देश्य है भारत के सात राज्यों, जिनमें उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में यूरिया की मांग को पूरा करना है।
मालूम हो कि एचयूआरएल का 15 जून, 2016 को निगमीकरण हुआ था। वह कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनटीपीसी लिमिटेड (एनटीपीसी) और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (आईओसीएल) की संयुक्त उपक्रम कंपनी है। एचयूआरएल 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष संस्थापित क्षमता वाले गैस-आधारित यूरिया संयंत्रों की स्थापना करके एफसीआईएल की गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों तथा जीएफसीएल की बरौनी इकाई को पुनर्जीवित कर रहा है। इन तीन एचयूआरएल यूरिया परियोजनाओं की लागत 25,120 करोड़ रुपये है। एचयूआरएल की तीनों इकाइयों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति गेल द्वारा हो रही है।