इस कार्य में MLA और MLC भेज सकेंगे अपना प्रतिनिधि, बजट सत्र के बाद होगा फैसला

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पटना : बिहार विधान नगर बाजार सत्र में बुधवार को सदन को गुमराह करने का मुद्दा जोर-शोर से उठा। न सिर्फ विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी मंत्री को लपेटा। इसकी शुरूआत बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव की तरफ से की गई। इसके बाद भाजपा के विधायकों ने भी अफसरों पर मंत्री के माध्यम से सदन में गलत जानकारी देने का आरोप लगा चुनौती दे दी।

वहीं, इसके साथ ही विधानसभा में विधायकों-विधान पार्षदों के प्रतिनिधि को बैठक में भेजने की इजाजत देने का भी सवाल उठाया गया। भाजपा विधायकों ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा। जिसके जवाब में सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बजट सत्र के बाद इस मुद्दे पर मीटिंग होगी।

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दरअसल, भाजपा विधायक संजय सरावगी ने सदन में ध्यानाकर्षण के माध्यम से सवाल उठाया कि विधायक-विधान पार्षद जो संवैधानिक पदों पर बैठे हों उनकी काफी व्यस्तता रहती है। जिलों की बैठक में भाग भी लेना होता है। कभी-कभी व्यस्तता की वजह से वे बैठक में शामिल नहीं हो पाते हैं। ऐसे में विकास कार्य बाधित होता है। ऐसे में सरकार विधायक-विधानपार्षदों के प्रतिनिधि को जिला स्तरीय बैठक में शामिल होने की अनुमति दी जाए।

इस पर संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि यह मामला 6-7 विभागों से जुड़ा है। वैसे इनका सवाल जायज है। मंत्री ने विस अध्यक्ष से कहा कि बजट सत्र के बाद बैठक बुलाई जा सकती है। वैसे यह सवाल स्थगित करने की जरूरत नहीं है। हमने स्पष्ट रूप से कह दिया कि सत्र की समाप्ति पर इस पर विचार किया जा सकता है। क्योंकि इसमें कई विभागों की समेकित रूप से निर्णय लिया जाना है।

वहीं, भाजपा नीतीश मिश्रा ने सदन में कहा कि सिर्फ संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को नहीं बल्कि सभी विधायकों-विधान पार्षदों को भी बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजने का अधिकार हो। स्पीकर ने कहा कि इस सवाल से सभी को जुझना पड़ रहा है। मंत्री जी को भी इससे जुझना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार ने संज्ञान लिया है और सत्र के बाद इस मुद्दे पर बैठक बुलाने की बात कही है। ऐसे में सवाल स्थगित करने का सवाल नहीं उठता।

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