विजयश्री स्मृति व्याख्यानमाला में बोले रविशंकर : भारत के संविधान में संस्कृति व परंपरा की झलक
पटना : विविधताओं के बाद भी हमारा देश एक है, यही इस देश की खूबसूरती है। भारत खुद ही भारतीयों को भारतीयता सिखा देता है। हमारे देश में राष्ट्र एक सांस्कृतिक तत्व है। अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों में भी राष्ट्र हित की भावना सबसे ऊपर होनी चाहिए। उक्त बातें ए.एन. कॉलेज के पुस्तकालय सभागार में रविवार को 18वां प्रो.(डॉ.) विजयश्री स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘भारत और भारतीयता’ विषय पर व्याख्यान के दौरान और पूर्व केंद्रीय मंत्री सह लोकसभा सदस्य रविशंकर प्रसाद ने कही।
रविशंकर ने कहा कि हमारे संविधान में देश की संस्कृति और गौरवशाली परंपरा की झलक साफ देखी जा सकती है। इसके विभिन्न पृष्ठों पर विभिन्न धर्मों से जुड़े महान पुरुषों की तस्वीरें हैं। साथ ही उन्होंने महाविद्यालय के प्राचार्य को परिसर में स्टार्टअप कल्चर विकसित करने के लिए प्रेरित किया।
भारत शांति प्रेम और सद्भाव का देश
इस मौके पर नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि भारत हमारी आत्मा में बसता है। हमारी सभ्यता प्राचीन काल से आज भी अक्षुण्ण है ,जब की दुनिया कि कई प्राचीन सभ्यताएं लुप्त हो गईं। हमारे देश का एक गौरवशाली अतीत है। यह शांति प्रेम और सद्भाव का देश है।
भारतीयता हमारी सोच और आत्मा में बसती है
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके सिंह ने कहा कि जिस देश में वृक्षों की पूजा होती है, पत्थरों की पूजा की जाती है, वह देश है भारत। भारतीय होना गर्व की बात है। भारतीयता हमारी सोच और आत्मा में बसती है। भारत एक था, एक है और हमेशा एक ही रहेगा। कुलपति ने कहा कि उन्हें विदेशों में कार्य करने के कई अवसर मिले परंतु उन्होंने अपने हीं देश में कार्य करने को प्राथमिकता दी। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति को पाश्चात्य प्रभावों से बचाने की आवश्यकता है। रामकृष्ण मिशन मुजफ्फरपुर के स्वामी भावात्मानंद ने कहा कि भारत ज्ञान के क्षेत्र में हमेशा अग्रणी रहा है तथा इस देश में जन्म के लिए देवता भी तरसते रहते हैं।
पुरखों का सम्मान करना हमारे देश की परम्परा
कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एस.पी. शाही ने अपने स्वागत भाषण में आमंत्रित अतिथियों का अभिवादन करते हुए कहा कि महाविद्यालय लगातार तीन बार नैक से ए ग्रेड प्राप्त करता आ रहा है। महाविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों और विद्यार्थियों के निरन्तर रचनात्मक प्रयासों से यह महाविद्यालय निरन्तर सफलता के मार्ग पर अग्रसर है। प्रो.शाही ने आगे कहा कि अपने पुरखों का सम्मान करना और उनकी स्मृतियों को संजोकर रखना हमारे देश की परम्परा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह महाविद्यालय परिवार के लिए गर्व की बात है।
विषय प्रवेश पद्मश्री विमल जैन ने किया। मोहन चतुर्वेदी ने प्रो.विजयश्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रो.विजयश्री सेवा और संस्कार को समर्पित, नारी सशक्तीकरण की उत्कृष्ट मिसाल, पटना विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका और विद्वान प्राध्यापक प्रो. रमेश चन्द्र सिन्हा की विदुषी पत्नी थीं। कार्यक्रम का कुशल संचालन महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. शैलेश कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन भारतीय दार्शनिक परिषद के अध्यक्ष प्रो. आर.सी.सिन्हा ने किया।
कार्यक्रम में प्रो.शिव भगवान गुप्ता, संरक्षक, भा.वि. प., देशबन्धु गुप्ता, अध्यक्ष, भारत विकास वि. न्यास, प्रो.वैद्यनाथ लाभ, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.सी.सिन्हा, मुंगेर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. श्याम रॉय, नालंदा नवबिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्रीकांत लाभ, प्रो. विजयकांत दास, प्रो. प्रवीण कुमार, प्रो. तपन सांडिल्य, प्रो.वीणा कुमारी, प्रो.अमरनाथ सिन्हा, प्रो.उपेंद्र सिंह, कुमार महेंद्र, प्रो. मीरा कुमारी को सम्मानित किया। इस अवसर पर हिंदी के प्रख्यात प्राध्यापक प्रो. बलराम तिवारी, प्रो.अजय कुमार, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. संजय सिंह समेत कई शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।