पड़ोसी तथा अन्य देशों को अनुदान,सहायता व वाणिज्यिक करार के तहत वैक्सीन देने के लिए बाध्य होती है केंद्र सरकार- सुमो
पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र में कोई भी सरकार होती तो पड़ोसी देशों को अनुदान व सहायता तथा अन्य देशों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के समझौते एवं कच्चे माल के एवज में वाणिज्यिक करार के तहत वैक्सीन देने के लिए बाध्य होती।
भारत ने अपने 7 पड़ोसी देशों बंगलादेश,नेपाल, श्रीलंका आदि को 78 लाख 50 हजार वैक्सीन का डोज अनुदान के तहत उपलब्ध कराया तथा इसी प्रकार 2 लाख डोज संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति बल के लिए सहायता स्वरूप दिया, जिसमें 6600 भारतीय सैनिक भी शामिल हैं। अन्य देशों को दिए गए कुल वैक्सीन का यह करीब 16 प्रतिशत है।
सुमो ने कहा कि विदेशों को दिए गए 6 करोड़ 63 लाख वैक्सीन के डोज का करीब 84 प्रतिशत डोज वाणिज्यिक समझौते व लाइसेंसिंग करार के तहत उन देशों को दिया गया जिनसे हमें वैक्सीन तैयार करने के लिए कच्चा माल व लाइसेंस मिला है।
सुशील मोदी ने कहा कि यूके को बड़ी मात्रा में वैक्सीन इसलिए देनी पड़ी क्योंकि सीरम इंस्टिट्यूट जिस कोविशिल्ड वैक्सीन का निर्माण कर रही है उसका लाइसेंस यूके के ‘ऑक्सफोर्ड एक्स्ट्रा जेनिका’ से प्राप्त हुआ है और लाइसेंसिंग करार के तहत उसे वैक्सीन का डोज देना भारत की बाध्यता है। यूके ने तो पहले 50 लाख डोज प्रतिमाह की शर्त रखी थी मगर प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद लाइसेंस के एवज में उसे कुल निर्यात का मात्र 14 प्रतिशत वैक्सीन देना पड़ रहा है।
इसके अलावा वाणिज्यिक समझौते के तहत सऊदी अरब को 12.5 प्रतिशत वैक्सीन देना है क्योंकि जहां उससे पेट्रोलियम का आयात होता है वहीं बड़ी संख्या में वहां रह रहे भारतीयों को दो डोज मुफ्त वैक्सीन देने का उसने भारत से समझौता किया है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन से हुए एक समझौते के तहत कुल निर्यात का 30 प्रतिशत वैक्सीन ‘को-वैक्स फैसिलिटी’ को दिया जाना है।