तितकी लागता… सुन लोग!

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इत्मिनान रहिए ललित भैया! व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़ने वाली सरकार है…

विधान सभा : पत्रकार दीर्घा से

पटना : अनुपूरक बजट पर बहस चल रही थी। संजय सरावगी (दरभंगा) सरकार के पक्ष में दलील दे रहे थे। प्रश्नकाल के सफल संचालन के लिए अध्यक्ष की महती भूमिका बता रहे थे। तभी विपक्ष के एक सदस्य ‘हाँ कक्ष’ के दरवाजे से बाहर जाना चाह रहे थे कि इस हरकत से सभी नाराज हुए। अध्यक्ष ने रोकते हुए वापस लौटने के बाद माफ़ी मांगने को कहा।

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उसके बाद ‘ना कक्ष’ से जाने की अनुमति दी। आसन के सामने से लाँघना वर्जित है। कार्यवाही काल में सिर झुका कर आने-जाने की भी परंपरा है। इसी बीच सरावगी को लगता है अकबर इलाहाबादी याद आ गए। “हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।” से अपनी बातें पूरी की।

राजद के डॉ. रामानुज प्रसाद धीरे-धीरे पूरे रौ में आ गए। उन्होंने कहा कि देश आंबेडकर के संविधान से चलेगा कि गोलवरकर के! कहीं न कहीं लिक है इसलिए विक है। चूक नहीं रहे थे। कहा कि पल्टीमार नीतीश कुमार भी नहीं गढ़ा जा सकता। संयोग से आसान पर जदयू के नरेंद्र नारायण यादव थे। सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों की त्योरियां तनीं। लेकिन, मामला शांत हो गया। मुख्यमंत्री, प्रतिपक्ष के नेता व संसदीय कार्य मंत्री तब सदन में नहीं थे। मैदान मोटा-मोटी खाली था। डॉ. प्रसाद ने इसका भरपूर फायदा उठाया। समर्थन में मेज थपथपाए जा रहे थे।

इससे बेतकल्लुफ़ उपमुख्यमंत्री द्वय व कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह कुछ मशविरा करते रहे। कुछ देर यादव की अध्यक्षता में कार्यवाही चली। कुमार सर्वजीत (बोध गया) रामविलास पासवान और चिराग पासवान की चर्चा की। उनका प्रहार भाजपा पर था। तो, भाई वीरेंद्र चुटकी लेने से नहीं चूके। कहा- तितकी लागता… सुन लोग!

करीब 4 बजे अध्यक्ष आसीन हुए। तो, पूर्व मंत्री व मधुबन के प्रतिनिधि राणा रणधीर सिंह सरकार के समर्थन में बशीर बद्र की पंक्तियों से शुरुआत की “जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है, आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा” राजद के सदस्य ने टोक तो शालीनता से… पंचतीर्थ की सरकार है ललित भैया! इत्मिनान रहिए! व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़ने वाली सरकार है। शहर को स्वच्छ व सुंदर भी बनाएंगे। सुबह-सुबह सुनते होंगे! गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल…। एटीकेट में थे श्री राणा। पूछा! अध्यक्ष महोदय! अगर समय शेष हो तो आगे बोलूं! बोलिए… तब कहते हैं- “उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है।

” राजद की मंजू अग्रवाल की बारी आयी तो अध्यक्ष ने कहा कि समय कम है गागर में सागर भरिए! यह उनका तकिया कलाम है। हालाँकि श्रीमती अग्रवाल किसी तरह लिखा हुआ पढ़ सकीं। सबकी सुनने के बाद बतौर नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद जवाब के लिए खड़े हुए तो लेफ्ट के सदस्यों ने असहमति जताते हुए बहिष्कार कर चले गए। प्रसाद ने विभागवार राशि की जानकारी सदन को दी। करीब 4:41 में मुख्यमंत्री भी पहुंचे। सबसे अंत में करीब 5:12 में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी आए। उसके कुछ देर बाद सदन 1 मार्च, 2001 के सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

बाहर निकलने के क्रम में नंदकिशोर यादव पीछे से कहते हैं जल्दी निकलिए कृषि मंत्री (अमरेंद्र प्रताप सिंह) जी! फिर दोनों पोर्टिको में वाहन आने तक बातचीत करते रहे। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी पोर्टिको के बाहर आकर गाड़ी में बैठे। मोबाइल युग में भी माईक पर गाड़ी बुलाने की घोषणा होती रही। कुछ देर के लिए परिसर में अफरा-तफरी हो गई। अंत में हर दिन होता है।

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