84 दिनों के उपरांत मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही विभागों का बंटवारा हो गया। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कहा जा रहा था कि भाजपा चिराग को साथ रखना चाह रही थी। लेकिन, नीतीश उन्हें साथ नहीं रखना चाहते थे। इसलिए नीतीश कुमार ने चिराग के विरोधी और उन्हीं के लोकसभा के अंतर्गत आनेवाली विधानसभा चकाई के विधायक सुमित सिंह को अनौपचारिक रूप से पार्टी में शामिल कराकर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी।
सुमित सिंह को इतना तव्वजो मिलने के बाद विभिन्न तरह की राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई है। यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार चिराग को उन्हीं के घर में घेरने की पूरी तैयारी कर दी है। सुमित सिंह को नीतीश कुमार की पार्टी खड़ा कर चिराग को जवाब देना चाहती है। इसलिए आए दिन जीतन राम मांझी से लेकर जदयू के तमाम नेता चिराग पर जमकर हमला बोल रहे हैं। वहीं, निर्दलीय विधायक होने के बावजूद सुमित सिंह को जदयू अपने कार्यक्रमों में बुलाकर मंच पर जगह दे रही है।
सुमित सिंह के पिता नरेन्द्र सिंह छात्र आंदोलन में लालू, रामविलास और नीतीश के साथ रहे है। लालू, राबड़ी व नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। ये वही नरेन्द्र सिंह हैं, जिन्होंने 2005 में रामविलास का साथ दिया था और लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और उस चुनाव में लोजपा के 29 विधायक जीते थे। लेकिन, राज्य में कोई सरकार नहीं बनते देख नरेन्द्र सिंह लोजपा के कई विधायकों के साथ जदयू में शामिल हो गए थे।
यानी सुमित सिंह के पिता नरेंद्र सिंह ने रामविलास पासवान को राजनीतिक हैसियत बताते हुए नीतीश कुमार को मजबूत किये थे। वहीं, नीतीश कुमार नरेंद्र सिंह के बेटे को मजबूत कर चिराग पासवान को राजनीतिक हैसियत दिखाना चाह रहे हैं। जमुई में अगर सुमित सिंह की राजनैतिक हैसियत बढ़ती है तो इसका सीधा नुकसान चिराग पासवान को होगा। वैसे नीतीश कुमार ने तो चिराग को उनके घर में घेरने की पूरी तैयारी कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी व भाजपा नेतृत्व चिराग को नीतीश के चक्रव्यूह से कैसे निकालती है।