राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि जो लोग बिहार की चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे और कह रहे थे कि यहां रूई-सूई भी नहीं, उन्हें पटना एम्स सहित कई मेडिकल कालेज अस्पतालों में वेंटीलेटर और अन्य आधुनिक उपकरण दिखाई नहीं पड़े। बिहार में मात्र 1500 संक्रमितों को बचाया नहीं जा सका, जबकि महाराष्ट्र में 50 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
सुशील मोदी ने कहा कि राज्य में कोरोना टीकाकरण के लिए 300 केंद्र बनाये गए, 10,600 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया और हर केंद्र पर रोजाना 100 लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। बिहार के लोग अफवाह गैंग को करारा जवाब देकर कोरोना टीकाकरण अभियान को सफल बनायेंगे।
अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित रखने के लिए बिहार सरकार ने न केवल लॉकडाउन के नियमों का पालन कराया, जरूरतमंद लोगों के लिए राशन की व्यवस्था की, बल्कि एंटीजन टेस्ट, वेंटीलेटर और जाँच का अच्छा इंतजाम किया। रोजाना डेढ़ लाख तक सैम्पल की जांच की गई। स्वास्थ्य विभाग की तत्परता से बिहार में कोरोना से मरने वालों की दर बहुत कम, लेकिन ठीक होने वालों की दर 98 फीसद तक रही।
सुमो ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोरोना से बचाव के लिए सबसे पहले 16 जनवरी 2020 को एडवाइजरी जारी की, सबसे पहले लॉकडाउन लागू कर लाखों लोगों की जान बचायी और कोरोना से बचाव के दो टीके बना कर चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया।
देश के लिए यह गर्व की बात है कि कोरोना फैलने के ठीक साल भर बाद भारत कोरोना टीकाकरण का पहला चरण प्रारम्भ कर रहा है। इस चरण में जिन 3 करोड़ लोगों को टीके लगेंगे, उनमें बिहार के 30 हजार सफाईकर्मी होंगे। दुर्भाग्यवश, विपक्ष ने कोरोना से संघर्ष के हर मोड़ पर नकारात्मक रवैया अपनाया। जो लोग जनता और कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढाने वाले ताली-थाली बजाने या दीये जलाने का मजाक उडा रहे थे, वे कोरोना का टीका बनने के बाद उस पर अविश्वास पैदा करने की मुहिम में लग गए।