दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुरुवार को इंटरनेट, सोशल मीडिया,ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दिया है। इस गाइडलाइन के अनुसार नेटफ्लिक्स-अमेजन जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म हों या फेसबुक-ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सबके लिए सख्त नियम बन गए हैं। नए नियम के अंतर्गत 24 घंटे के अंदर इंटरनेट मीडिया से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा।
सोशल मीडिया के नियम तीन महीने में लागू होंगे
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में फेसबुक पर 40 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। वहीँ ट्वीटर पर लगभग 1 करोड़ लोग जुड़े हुए है। जबकि 53 करोड़ लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं। भारत में इन चीजों का काफी इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन चिंता वाली बात यह है कि इसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए भी किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत में इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्मों पर व्यापार करने के लिए स्वागत है। सरकार आलोचना के लिए तैयार है, लेकिन इंटरनेट मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी शिकायत का फोरम होना चाहिए। इसका दुरुपयोग रोकना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार आलोचना और असंतोष के अधिकार का स्वागत करती है लेकिन सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं के लिए सोशल मीडिया के दुरुपयोग के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज के लिए मंच का होना बहुत जरूरी है। सोशल मीडिया को इस बात का प्रबंध करना होगा कि यूजर्स के अकाउंट का वेरिफिकेशन कैसे किया जाए, सोशल मीडिया के नियम तीन महीने में लागू होंगे।
कंपनियों को रखना होगा शिकायत निवारण तंत्र
इसके आगे उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट को सबसे पहले किसने पोस्ट या शेयर किया इसकी जानकारी सरकार या न्यायालय द्वारा मांगे जाने पर देना आवश्यक होगा। इसके अलावा कंपनियों को एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा। यह भारत के निवासी होंगे। इसके साथ ही एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा। साथ ही मंथली कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
सोशल मीडिया को भी मीडिया की तरह ही करना होगा नियमों का पालन
इसके साथ ही अब सोशल मीडिया को भी मीडिया की तरह ही नियमों का पालन करना होगा। महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक कंटेंट होने की शिकायत मिलने पर 24 घंटे के भीतर पोस्ट हटाना होगा इसके आलावा डिजिटल न्यूज़ मीडिया के लिए कहा गया ही कि प्रसारणकर्ता के संबंध में संपूर्ण जानकारी देनी होगी। ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम बनाना होगा। रिटायर्ड हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में सेल्फ रेग्ययूलेशन बॉडी बनानी होगी।