गंगा महाआरती में दिखेगी पुरातात्विक स्थल चिरांद की विरासत

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Chirand archeological site

चिरांद/सारण : विश्व के रेयर पुरातात्विक स्थलों में से एक गंगा, सरयू और सोन के संगम पर स्थित हजारों वर्ष पुराने चिरांद की वर्षों से रुकी हुई खुदाई फिर शुरू हो गयी है। तीन पवित्र नदियों के संगम पर स्थित इस धार्मिक नगरी का महोत्सव प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा को आयोजित होता है। इस अवसर पर यहां करीब डेढ़ दशक से भव्य गंगा महाआरती का आयोजन होता आ रहा है। इस बार यह आयोजन 17 जून को होगा। गंगा गरिमा रक्षा संकल्प के साथ आयोजित होने वाले इस समारोह को चिरांद चेतना महोत्सव भी कहा जाता है। इस आयोजन की तैयारी को लेकर चिरांद के नवनिर्मित थिमेथिक पार्क में बैठक की गयी जिसमें प्रकाश, ध्वनि, यातायात तथा हर वर्ष श्रद्धालुओं की बढती भीड़ के मद्देनजर चर्चा की गयी। बैठक की अध्यक्षता शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ. आरबी सिंह ने की। बैठक में नमामि गंगे द्वारा बंगाली बाबा घाट पर सीढी निर्माण पर सदस्यों द्वारा सवाल उठाये गये। सदस्यों का कहना था कि संवेदक द्वारा जन भावना के साथ—साथ धार्मिक भावना का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। क्योंकि बंगाली बाबा घाट पर नदी की तरफ से जनसहयोग से बनी मजबूत सीढ़ियों को एक बार में ही तोड़ दिया गया। जिसके कारण गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है। वहीं हर वर्ष जून में होने वाली महाआरती कैसे होगी इस पर भी चर्चा की गयी। चिरांद विकास परिषद द्वारा नमामि गंगे कार्य को देखने के लिए स्थानीय लोगों की 11 सदस्यीय टीम का गठन भी किया गया। ताकि निर्माण कार्य सही हो। बैठक में देवेशनाथ दीक्षित, आरपी सिंह, रघुनाथ प्रसाद सिंह, उदय कुमार चौधरी, श्वेतांक बसंत पप्पू, जजन प्रसाद यादव, जयमंगल भगत, मोहन पासवान, चन्द्रदेव राय, महेश्वर कुमार सिंह, शंकर पासवान, विजय कुमार शर्मा, जी विजय जी, अभिजीत सिंह, राज कुुमार, साजन महाराज, प्रेम कुमार, जगदम्बा फिल्म के निदेशक विजय जी, प्रेम बाबा, राजू जी सहित परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी उपस्थित थे।

छपरा बाल गृह के बच्चों ने देखी चिरांद की खोदाई

शैक्षिक भ्रमण पर पहुंचे छपरा बाल गृह(बालक) के बच्चों ने रविवार को चिरान्द के धार्मिक, ऐतिहासिक, स्थलों का भ्रमण किया। संस्था के देवेशनाथ दीक्षित, डाॅ. विनय मोहन ने चिरोद के महत्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान चिरान्द विकास परिषद के सदस्यों द्वारा बच्चों को सभ्यता और संस्कृति तथा हो रहे खोदाई के बारे में जानकारी दी गयी। चिरान्द में 24 फरवरी से उत्खनन का कार्य प्रारंभ है। उत्खनन के दौरान कई तरह के वस्तुएं मिले हैं। मिट्टे के बर्तन मनके, मूर्तियां, हड्डी, सिक्के आदि मिल रहे है जिसे देखने के लिए आये दिन पर्यटक चिरान्द आ रहे है। इस सम्बंध में डेक्कन काॅलेज पूणे के सदस्यों ने बताया कि मिले अवशेषों की जांच कनाडा में होगी।

swatva

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