पटना : लोकसभा चुनाव के बीच बिहार में महागठबंधन में लव—जेहाद के हालात बने हुए हैं। हाल में राजद से बागी हुए और फिर पार्टी से इस्तीफा देने वाले लालू के करीबी अल्पसंख्यक नेता अली अशरफ फातमी ने नीतीश कुमार के गुण गाने शुरू कर दिये हैं। सोमवार को राजद के बागी नेता अली अशरफ़ फातमी ने बसपा की ओर से मधुबनी लोकसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके साथ ही उन्होंने यूटर्न लेते हुए नीतीश कुमार की शान में कसीदे भी कसे। इस सारे घटनाक्रम के बाद उनके जदयू में शामिल होने के अनुमान लगाए जाने लगे हैं।
दरअसल, मधुबनी लोकसभा सीट महागठबंधन के घटक दल वीआइपी के पास चली गयी, जिसपर फातमी लगातार दावा कर रहे थे। फातमी ने बताया कि उन्होंने पार्टी के आलाकमान को पहले ही मधुबनी लोकसभा सीट से उतरने की इच्छा बताई थी। लेकिन तेजस्वी यादव ने पार्टी नेता की बातों को अनसुनी कर दिया। हालाँकि उन्होंने लालू प्रसाद यादव की तारीफ़ भी की, पर तेजस्वी के बर्ताव के बाद राजद की पोल खोलने से भी नहीं चूके। तेजप्रताप यादव के शिवहर और जहानाबाद से उम्मीदवार उतारे जाने पर फातमी ने कहा कि तेजस्वी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित क्यूँ नहीं किया।
इधर उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ़ करते हुए उन्हें अपने बड़े भाई सामान बताया। इससे फातमी के जदयू में शामिल होने की अटकलें तेज़ हों गईं हैं। हालांकि बसपा से पर्चा भरे जाने के बाद वापस लेने पर फातमी ने कहा कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव्ब सैय्यद वाली रहमानी जिसे वे अपना गुरु मानते हैं, उनके कहने पर नामांकन वापस लिया।
मगर फिर भी फातमी अपने एक स्टैंड पर बने हुए हैं कि वे मधुबनी में भाजपा के खिलाफ वोटों का बिखराव न होने देंगे। फातमी ने बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए वो राजद में दोबारा वापस कभी नहीं जायेंगे और न ही भाजपा और कांग्रेस में।
मधुबनी में पांचवे चरण में 6 मई को चुनाव है। एनडीए ने अशोक कुमार यादव को तो महागठबंधन ने वीआईपी के बद्रीनाथ पूर्वे को उतारा है। वहीँ कांग्रेस से बागी हुए पूर्व सांसद शकील अहमद भी चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में ऐन चुनाव से पहले फातमी का पीछे हट जाना इस बात का संकेत है कि फातमी इस बार लोकसभा चुनाव से आउट ही रहेंगे।
सत्यम दुबे
Swatva Samachar
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