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दुश्मन के इरादों पर ‘सील‘ प्रहार

पटना: पूर्वोत्तर भारत के युवाओं में अपने ही देश के प्रति भ्रम व घृणा पैदा करने वाला अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र, ‘सील’ के कारण विफल हुआ है। सील का मतलब है स्ट्ूडेंट एक्सपीरियंस इन इंटर स्टेट लिविंग। पिछले दिनों सील के तहत छात्रों का दल पटना आया था, जिनका शहर के लोगों ने स्वागत किया। ये छात्र पटना के आसपास के गांवों में गए और अच्छा अनुभव लेकर अपने शहर लौटे।
पटना आए पूर्वोत्तर के छात्रों से मुखातिब बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर में अलगाववाद की स्थिति को खत्म करने के लिए एवं पूर्वोत्तर के छात्र-युवाओं को राष्ट्रवाद से जोड़ने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 1966 में ही अन्तर राज्य छात्र जीवन दर्शन कार्यक्रम शुरू किया था। लगातार 52 वर्षों के इस प्रयास से वहां अनुकूल वातावरण बना है। राष्ट्र विरोधी अलगाववादी शक्तियां वहां कमजोर हुई हैं। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत से पहले शेष भारत अनभिज्ञ था। वहां रहने वाले लोग भी अपने देश के अन्य राज्यों के बारे में बहुत कम ही जानते थे। राष्ट्रीय एकता यात्रा पूर्वोत्तर के बारे में पूरे देश को परिचित कराने का कार्यक्रम है। अभाविप का यह प्रयास अभिनन्दनीय है। ‘सील’ के तहत किए गए इस प्रयास के बारे में एनआईटी पटना के निदेशक डा. पीके जैन ने कहा इस प्रकार के कार्यक्रम से सामाजिक व सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पूर्वोत्तर भारत को पूरे देश के साथ भावनात्मक रिश्ते में बांधना संभव होगा। पूर्वोत्तर के छात्रों से मुलाकात के इस मौके पर प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डा. आर.एन. सिंह ने कहा कि परिषद द्वारा चलाया जा रहा यह कार्यक्रम देश को मजबूती प्रदान करेगा। वर्षों से देश की पूर्वोत्तर सीमा पर दुश्मनों की नजर है, दुश्मन की चुनौतियों से सामना करने के लिए देश के अंदर एकता जरूरी है।

अलगाववादियों की टूटेगी कमर

अलगाववादी विचारधारा लगातार पूर्वोत्तर के छात्रों को भड़का कर हिंसा फैला रही है। इसलिए छात्र युवा को देश के साथ जोड़ना जरूरी है। एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री निखिल रंजन ने कहा कि जब-जब देश के सामने खतरे उत्पन्न हुए इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी परिषद देश के युवाओं को जगाने का काम किया। अभिनंदन समिति की स्वागताध्यक्ष पटना की महापौर सीता साहू ने कहा कि समस्त भारत को राष्ट्रीयता के एकसूत्र में पिरोने वाले विद्यार्थी परिषद की यह पहल बेहद सराहनीय है। सभी पूर्वोत्तर के प्रतिभागियों का बिहार की पावन भूमि पर हार्दिक स्वागत है।
राष्ट्रीय संवेदनशीलता और जीवन भर का आपसी संबंध स्थापित करने वाला ये अनूठा प्रकल्प पूर्वोत्तर भारत में परिषद की पहचान बनाने वाला कार्यक्रम बना है। एक स्थानीय परिवार के साथ इन पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों का तीन दिन का साथ जीवन भर के रिश्ते निर्माण कर देता है इन यात्रियों की विदाई का अवसर अत्यंत भावुक होता है।
अलग भाषा, अलग वेश फिर भी अपना एक देश। इस भावना को व्यवहार में उतारने वाला यह कार्यक्रम सचमुच अद्भुत है। सील के तहत पटना आए छात्रों को यहां के गांवों का भ्रमण कराया गया। पटना साहेब के सामाजिक कार्यकर्ता संजीव यादव के साथ छात्र मरचा-मरची, महुली, फतेहपुर जैसे गांवों में गए। ग्रामीणों के साथ बातचीत की। फतेहपुर के मुखिया उमेश सिंह के साथ ग्रामीणों ने उनका अभिनंदन किया। बिहार के अलावा दूसरे प्रांतों में भी सील के तहत इस प्रकार के कार्यक्रम होते हैं। हर मेजबान शहर इन 3 दिनों में अपना पूरा स्नेह उन पर लुटा देना चाहता है। इतने कम समय मे इनको अपना सब कुछ दिखा देना चाहता है। यही छात्र भारत की संस्कृति का वाहक बन अलगाववादियों द्वारा फैलाए गए भ्रम को दूर करते हैं। पूर्वात्तर भारत में होने वाला सामाजिक, राजनीतिक बदलाव इस प्रकार के सैकड़ों प्रयासों, हजारांे कार्यकर्ताओं के समय, दान, व तपस्या का परिणाम है।