ढाका विधायक फैसल रहमान पर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के बाद राजनीति गरमाई

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पूर्वी चम्पारण: प्रवासी मजदूरों की परेशानी को लेकर ढाका प्रखंड मुख्यालय में धरना पर बैठे राजद विधायक फैसल रहमान पर धरना समाप्ति के बाद प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के बाद ढाका की राजनीति में अचानक उछाल आ गया है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि भेड़-बकरियों की तरह क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे मजदूरों की परेशानी को कोई देखने वाला नहीं था। भूखे पेट सोने को मजबूर मजदूरों को स्थानीय स्तर पर कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हुए तब स्थानीय विधायक मजबूर होकर लोकतांत्रिक तरीके से धरना दिया।

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लोगों का यह भी कहना है कि अगर बिना इजाजत विधायक धरना दे रहे थे तो उसी दिन क्यों निषेध नहीं किया गया या प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई। लोगों का सीधा आरोप है कि सरकार के दबाव में उक्त केस दर्ज कराई गई है। आम लोग भी यह मानते हैं कि स्थानीय अंचलाधिकारी और एसडीएम सिकरहना भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। इनके कारनामे की जांच हो तो भ्रष्टाचार के कई गंभीर रहस्योद्घाटन हो सकता है।

विधायक फैसल रहमान ने कहा है कि सरकार के द्वारा दिए जा रहे सहायता राशि को यहां के अधिकारी लूटना चाह रहे हैं जिसका मेरे द्वारा विरोध किया गया। उन्होंने ने बताया कि सिकरहना एसडीएम अक्षम पदाधिकारी है । इनके कार्यकाल में यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। एसडीएम ने लाखों रुपए की अवैध कमाई की है जिसकी निगरानी विभाग से जांच की मांग करते हैं। बहरहाल, राजनेताओं पर मुकदमा दर्ज होना कोई नई बात नहीं है लेकिन उनकी नीयत देखी जाती है। फैसल रहमान जन वेदना के लिए धरना पर बैठ जो एक राजनेता का पहला कर्तव्य है। इस सरकारी दमन नीति का आगे क्या परिणाम होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन चर्चाएं तो शुरू हो ही गई है।

नरेंद्र झा

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