दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के अंगीभूत कॉलेजों के बीस प्रधानाचार्यों को बर्खास्त कर दिया गया। उच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में कुलसचिव नवीन कुमार ने गुरुवार को अधिूसचना जारी कर दी है। इसके मद्देनजर इन सभी प्रधानाचार्यों को तत्काल पदभार सौंपने का निर्देश दिया गया है। इन बीस प्रधानाचार्यों की बर्खास्तगी के साथ ही जिन कॉलेजों के ये प्रभारी थे, उन कॉलेजों में प्रभारी प्रधानाचार्य नियुक्त कर दिए गए हैं। नए प्रभारी प्रधानाचार्याें को बर्खास्त प्रधानाचार्यों से नो ड़्यूज प्राप्त करने के लिए उचित प्रक्रिया अपनाने का भी निर्देश है। अब नए सिरे से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। उच्च न्यायालय ने विवि प्रशासन को तीन माह का समय दिया है।
गौरतलब है कि इतनी बड़ी संख्या में प्रधानाचार्यों की बर्खास्तगी उच्च शिक्षा में पैर जमा चुके भ्रष्टाचार का ही नमूना पेश कर रहा है। अयोग्य लोगों की नियुक्ति का राज कोर्ट में मामला जाने के बाद खुला। शिक्षाविदों की मानें तो उच्च न्यायालय ने अपने इस निर्णय से न केवल शिक्षा जगत को, बल्कि सरकार को भी आईना दिखाया है।
दस वर्ष पूर्व हुई थी नियुक्ति
विज्ञापन (1/2008) के आलोक में वर्ष 2009 में इन प्रधानाचार्यों की नियुक्ति हुई थी। उस समय 22 प्रधानाचार्यों ने योगदान किया। इनमें डॉ. हरि नारायण ठाकुर और डॉ. उमेश प्रसाद सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। हालांकि, नियुक्ति के समय से ही प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे थे। हाईकोर्ट में वर्ष 2011 में डॉ. रमेश झा व प्रियंवदा कुमारी ने मामला (सीडब्ल्यूजेसी 7039/11) दायर किया। हालांकि, बाद में मामला लटक गया। फिर इंटरवेनर दयानाथ ठाकुर के माध्यम से ( आइएन नंबर 899/17) यह मामला फिर सुर्खियों में आया।
हाईकोर्ट ने तीन अक्टूबर 2018 को विवि प्रशासन को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। साथ ही 10 अक्टूबर तक कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करने को कहा। विवि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश के अनुरूप मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। उक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने लाए। कमेटी की रिपोर्ट एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने अपने निर्णय में पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को ही अवैध करार दिया। साथ ही विवि प्रशासन को सभी कार्यरत प्रधानाचार्यों को बर्खास्त कर नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया अपनाने को कहा।
इन प्रधानाचार्यों पर हुई कार्रवाई
प्रधानाचार्य कॉलेज
1. डॉ. घनश्याम मिश्रा महारानी महेश्वर लता संस्कृत विद्यापीठ, लोहना मधुबनी
2. डॉ. दिनेश्वर यादव लक्ष्मी नारायण रामेश्वर संस्कृत कॉलेज, जयदेवपट्टी, दरभंगा
3. डॉ. दिनेश झा बाबा साहेब राम संस्कृत कॉलेज, पचाढ़ी
4. डॉ. भगलु झा रामऔतार गौतम संस्कृत कॉलेज, अहिल्यास्थान, दरभंगा
5. डॉ. शिवलोचन झा कल्याणी मिथिला संस्कृत कॉलेज, दीप, मधुबनी
6. डॉ. मनोज कुमार गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज, काजीपुर, पटना
7. डॉ. अश्विनी कुमार शर्मा धर्म समाज संस्कृत कॉलेज, रामबाग, मुजफ्फरपुर
8. डॉ. अशोक पूर्वे श्रीजगदंबा संस्कृत कॉलेज, बाथो
9. डॉ. जितेंद्र कुमार ब्रज भूषण संस्कृत कॉलेज, खरखुरा, गया
10. डॉ. रविशंकर झा पूर्णिमा रानी प्रताप संस्कृत कॉलेज, बैगनी, दरभंगा
11. डॉ. आरपी चौधुर ऋषिकुल ब्रह्मïचर्य आश्रम संस्कृत कॉलेज, वेदीवन मधुबन, पूर्वी चंपारण
12. डॉ. कंचन माला पंडित आदिनाथ मधुसूदन पारसमणी संस्कृत कॉलेज, रहुआ संग्राम मधुबनी
13. डॉ. रामेश्वर राय बैद्यनाथ पांडे आर्य संस्कृत कॉलेज, सिवान
14. डॉ. अशोक आजाद अखिल भारतीय संस्कृत ङ्क्षहदी विद्यापीठ, खहार, बेगूसराय
15. डॉ. आभा कुमारी भरत मिश्र संस्कृत कॉलेज, छपरा
16. डॉ. विनय कुमार ङ्क्षसह अवध बिहारी संस्कृत कॉलेज रहीमपुर, खगडिय़ा
17. डॉ. प्रभाष चंद्र गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज, भागलपुर
18. डॉ. सुरेश पांडेय सिद्धेश्वरी संस्कृत कॉलेज, पचरुखिया, हासन बाजार, भोजपुर
19. डॉ. प्रेमकांत झा नंदन संस्कृत कॉलेज, ईशहपुर, सरिसवपाही, मधुबनी
20. डॉ. अनिल कुमार ईश्वर -राघवेंद्र संस्कृत कॉलेज, तरेतपाली, नौबतपुर पटना
इस बारे में दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि न्यायालय के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होगी। आदेश के अनुपालन के लिए एकेडमिक काउंसिल की बैठक कर प्रधानाचार्यों की नियुक्ति व स्क्रूटनी के लिए एक्सपर्ट पैनल का अनुमोदन कराया जाएगा। जिन लोगों ने उस समय आवेदन किया था, उनके दस्तावेजों की स्क्रूटनी करा कर योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाएगा। नियुक्ति में वर्ष 2008-09 के नियम ही प्रभावी होंगे। उसका भी अध्ययन किया जा रहा है।