पटना : यह वक्त संकट का है। देश पर कोरोना के कोहराम का साया मंडरा रहा है। ऐसे में पीएम मोदी से लेकर बिहार में सीएम नीतीश कुमार तक, सबके एजेंडे में बस कोरोना ही कोरोना है। कैसे भारत को बचाएं, कैसे बिहार को बचाएं, रात दिन केंद्र और राज्य सरकार इसी पर काम कर रही है। लेकिन बिहार के ही दो ऐसे ‘नायाब राजनीतिक हीरे’ हैं जो इस मुश्किल घड़ी में भी अपना फायदा ढूंढने के लिए कुलबुलाने लगे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं—प्रशांत किशोर और पप्पू यादव की।
कौन करे शर्म, नीतीश या प्रशांत किशोर
चुनाव मैनेज करने का ठेका लेने वाले प्रशांत किशोर ने कोरोना के बहाने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश पर निशाना साधा। प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा, ‘दिल्ली और अन्य जगहों पर बिहारी गरीब फंसे हुए हैं। बिहार सरकार इनलोगों को फौरी राहत की व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है? ‘शेम ऑन नीतीश कुमार’।
लोगों की जान पर आफत और पीके की मानसिकता
अब यहां यदि हम प्रशांत किशोर की टाइमिंग पर गौर करें तो पता चल जाएगा कि अचानक उनके दिल में बिहारी मजदूरों के लिए इतनी चिंता क्यों उमड़ने लगी। क्या वाकई नीतीश कुमार शर्म के लायक हैं। साफ है कि इस ‘मरने—मारने’ वाले सिचुएशन में भी प्रशांत किशोर का व्यवसायी दिमाग आगे के अपने व्यापार पर नजर गड़ाऐ हुए है। अपनी आई पैक कंपनी द्वार चुनावी ठेकेदारी द्वारा अभी तक भारतीय राजनीतिक पार्टियों को से अरबों की कमाई करने वाले प्रशांत किशोर की भूख शांत नहीं हुई है। वे अभी से कोरोना की आड़ में पैसे कमाने के लिए चुनावी बिसात के बारे में ही सोच रहे हैं।
कमाए अरबों, कोरोना फंड में दिया कुछ नहीं
जहां तक नीयत की बात है, हाल में डाटा चोरी और पूरा आईडिया चुराने की उनकी कारगुजारी सामने आ चुकी है। उनपर पटना के एक थाने में फ्रॉड और धोखाधड़ी की एफआईआर भी हुई है। वहीं दूसरी तरफ यह सवाल भी जेहन में आता है कि चुनावी तिकड़मबाजी कर देश में कई अरब की कमाई करने वाले प्रशांत किशोर ने किसी भी फंड में कितने रुपये देने की करुणा दिखाई है। आम बिहारी तो गरीब है, लेकिन पीके ने तो भारत के लोगों से ही अरबों—खरबों कमाए हैं। फिर उनकी दरियादिली इस संकट के वक्त नहीं दिखेगी तो कब दिखेगी।
मास्क की शक्ल में मौत बांट गए पप्पू यादव
अब बात करते हैं बिहार के दूसरे सबसे सेंसिटिव नेता की। जी हां पप्पू यादव। बाढ़ हो, प्याज की किल्लत हो या कोरोना का संकट। बिहार के जितने भी नेता हैं उनमें सबसे सेंसिटिव हैं पप्पू यादव। बस कुछ कैमरामैन दोस्तों और कुछ आमलोगों के जरूरत की चीज लेकर निकल पड़ते हैं मैदान में। फोटो—वोटो के बाद काम पूरा। कोरोना संकट के समय भी इन्होंने यही किया। मास्क लेकर निकल गए मजमा लगाकर बांटने और नेतागीरी चमकाने। लेकिन इस क्रम में हजारों लोगों की जिंदगी उन्होंने दांव पर लगा दी। कोरोना महामारी है जो भीड़, मजमा में तेजी से फैलती है। लेकिन पप्पू यादव को इससे क्या। अब आप खुद अंदाजा लगा लें कि इन नेताजी ने मास्क बांट कर लोगों की मदद की या उनको मौत के मुंह में धकेलने का काम किया।