कोरोना के कारण बिहार का हाल बेहाल, राजस्व संग्रह में 82 फीसदी से अधिक की कमी

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अप्रैल, 2020 में सभी स्रोतों से प्राप्त हुआ मात्र 9,861 करोड़ व खर्च 12,202 करोड़

पटना: वैश्विक महामारी कोरोना से पूरी दुनिया त्रस्त है। इस संकट से निपटने के लिए देश में चौथे चरण का लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन होने के कारण आर्थिक गतिविधियों पर भी पाबंदी है। जहाँ पाबंदी नहीं है लोग वहां डर से काम पर नहीं जा रहे हैं। इसको लेकर बिहार में भी भय का माहौल बना हुआ है। अधिकांश गतिविधियों पर रोक के कारण बाज़ार में खरीद-बिक्री में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। इसके कारण बिहार को काफी नुकसान हुआ है।

इसी को लेकर जानकारी देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कोरोना संकट के कारण राज्य के राजस्व संग्रह में पिछले वर्ष के अप्रैल माह की तुलना में इस साल अप्रैल में 82.29 प्रतिशत की कमी आई है। अप्रैल, 2020 में जहां वेतन, पेंशन, आपदा प्रबंधन, सामाजिक सुरक्षा, लोकऋण के मूलघन व ब्याज की वापसी तथा पंचायतों के अनुदान पर 12,202 करोड़ खर्च हुआ वहीं सभी तरह के संसाधनों से मात्र 9,861 करोड़ ही प्राप्त हो पाया। इसके कारण 2,341 करोड़ के घाटे को पहले की बचत की राशि से पूरा किया गया।

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सुशील मोदी ने बताया कि वर्ष 2019 के अप्रैल में राज्य का अपना राजस्व संग्रह 2,542.23 करोड़ की तुलना में 24 मार्च से लाॅकडाउन लागू हो जाने के कारण अप्रैल 2020 में मात्र 450.21 करोड़ ही हो पाया। वाणिज्य कर का अप्रैल, 2019 के 1,622.23 करोड़ की तुलना में अप्रैल, 2020 में मात्र 256.21 करोड़, निबंधन से 299.21 करोड़ की जगह 4.0 करोड़, परिवहन से 189.68 करोड़ की जगह 31 करोड़, खनन से 71.16 करोड़ की जगह 60 करोड़ व अन्य स्रोतों से 359.95 करोड़ की तुलना में केवल 99 करोड़ का ही संग्रह हो पाया।

इस प्रकार राज्य को अपने अन्य स्रोतों से कुल 450.21 करोड़ के राजस्व संग्रह के साथ केन्द्रीय करों में हिस्से के रूप में 4,632 करोड़ व भारत सरकार से अनुदान के तौर पर 2,450 करोड़ सहित सभी अन्य संसाधनों से केवल 9,861 करोड़ प्राप्त हुआ जिसके कारण खर्च व आय में 2,341 करोड़ का घाटा रहा।

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