कांग्रेस के बाद तेजस्वी ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की उठाई मांग, मांगा पैकेज
पटना : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की पुरानी मांग ने फिर जोर पकड़ लिया है। इस कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन की वजह से बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों की बिहार वापसी के बाद अब इस मुद्दे को लेकर राजनीति तेज हो गई है।महागठबंधन के नेता इस मुद्दे पर लगातार केंद्र और बिहार सरकार पर निशाना साधने में जुटे हुए हैं।
बिहार तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला ग़रीब राज्य
राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए केंद्र सरकार से पैकेज मांगा है।तेजस्वी ने कहा कि बिहार तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला ग़रीब राज्य है। इस महामारी के संकट के कारण बिहार को वैध रूप से विशेष राज्य का दर्जा के साथ ही साथ एक विशेष समावेशी वित्तीय और चिकित्सा पैकेज की आवश्यकता है।
बिहार में सीमित है संसाधन
उन्होंने कहा कि बिहार के संसाधन सीमित है। जदयू के नेतृत्व में 15 साल से चली आ रही नीतीश सरकार ने प्रदेश के स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में विविधता लाने, इंडस्ट्री लगाने, रोज़गार सृजन करने और आधारभूत ढाँचे को बदलते आधुनिक समय की ज़रूरतों के हिसाब से बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया।कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट करोड़ों ग़रीबों और निम्न आय समूहों के लिए अकल्पनीय, असहनीय और उनके अस्तित्व के लिए पीड़ादायक होगा। हमारी पुरज़ोर माँग है कि इस संकट की घड़ी में ड़बल इंजन सरकार बिहार को अविलंब विशेष राज्य का दर्जा दें।
प्रवासी मजदूरों के रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए राज्य सरकार
गौरतलब है कि इससे पहले बिहार युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी।उन्होंने कहा था कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर रही है तो कम से कम प्रवासी मजदूरों के रोजगार के साधन ही उपलब्ध करा दे।
बिहार की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब
कांग्रेस नेता ने कहा कि बिहार की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है।ऐसे में बिहार सरकार के लिए रोजगार सृजन एक बड़ी समस्या है।यही कारण है कि इन मजदूरों को वापस लाने के लिए शुरू से ही आनाकानी कर रही है।