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चिरांद से लेकर केसरिया तक, अब ‘इतिहास’ मिटाने पर तुली बाढ़

पटना : बिहार में बाढ़ के चलते अब विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरें भी गिरने लगी हैं। नवपाषाणिक स्थल चिरांद से लेकर चंपारण के केसरिया—लौरिया के बौद्ध स्तूपों तक, हर तरफ तबाही मचने लगी है। पूर्वी चंपारण का केसरिया बौद्ध स्तूप का परिसर महीने भर से जलमग्न है और इसकी चहारदीवारी गंडक की बाढ़ में ध्वस्त हो गई है। वैशाली की सीमा पर मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड अंतर्गत कोल्हुआ अशोक स्तंभ और बौद्ध स्तूप परिसर में बाढ़ का पानी फैला है। पश्चिमी चंपारण में लौरिया अशोक स्तंभ परिसर कई दिनों तक सिकरहना नदी की बाढ़ में डूबा रहा। हर साल बाढ़ से इन पुरातात्विक स्थलों को गंभीर खतरा पैदा हुआ लेकिन इनकी सुरक्षा पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

केसरिया बौद्ध स्तूप की बाउंड्री गिरी

विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप केसरिया पिछले एक महीने से बाढ़ और बारिश के पानी से घिरा हुआ है। चंपारण तटबंध टूटने की वजह से बौद्ध स्तूप परिसर में गंडक नदी का पानी पहुंच गया। यहां खुदाई की वजह से परिसर के अन्दर कहीं-कहीं तो पांच से सात फीट तक पानी जमा है। बौद्ध स्तूप की चहारदीवारी का पूर्व-दक्षिण कोने का एक हिस्सा बाढ़ एवं बारिश के पानी के दबाव से ध्वस्त हो गया है।

यह बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध है। इसकी उंचाई करीब 104 फीट है। यहां देश-विदेश से बौद्ध धर्मावलम्बी पर्यटक आते हैं। जानकारों का कहना है कि, महात्मा बुद्ध वैशाली में भिक्षापात्र देने के बाद कुशीनगर जाने के दौरान एक रात यहां रात्रि विश्राम किया था जिस कारण ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से बौद्ध स्तूप का विशेष महत्व है।