बुनकरों की गुरबत दूर करेगी मुद्रा योजना
पटना : राज्य व केन्द्र सरकार खादी के साथ हर स्तर पर हस्तकरघा को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र हस्तकरघा है। गांधी जी ने भी कहा था कि-‘आजादी का हथियार स्वदेशी है, गरीबी से लड़ाई का हथियार हस्तकरघा है’। इसी को ध्यान में रखते हुए अधिवेशन भवन में आयोजित ‘राष्ट्रीय हस्करघा दिवस’ समारोह में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बुनकर मुद्रा योजना के तहत बुनकरों को 50 हजार से 5 लाख तक का बैंक कर्ज देने का प्रावधान है। इसके अन्तर्गत अधिकतम 6 से 7 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान तथा 10 हजार मार्जिन मनी भी दिया जाता है। बैंकर्स कमिटी की अगली बैठक में अधिक से अधिक बुनकरों को इस योजना का लाभ दिलाने का प्रयास होगा। केन्द्र सरकार ने 18 करोड़ की लागत से भागलपुर में मेगा हैंडलूम कलस्टर तथा 6.58 करोड़ की लागत से डिहरी, नवादा और बिहारशरीफ में भी हैंडलूम कलस्टर की स्थापना की है।
बुनकर मुद्रा योजना से सबको जोड़ेंगे : मोदी
भागलपुर के 7 और बांका के 3 प्रखंडों को मिला कर मेगा हैंडलूम कलस्टर की स्थापना की गई है जिसके अन्तर्गत दोनों जिलों में एक-एक डाई हाऊस, डिजाइन स्टूडियो, 10 कलस्टर डेवलपमेंट, डिजाइनिंग व मार्केटिंग एक्जक्यूटिव आदि की नियुक्ति की गई है। वहां बनुकर सेवा केन्द्र के माध्यम से बुनकरों को बुनाई, छपाई व रंगाई आदि का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। राज्य सरकार जहां बुनकरों से अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली सतरंगी चादर की खरीद कर रही है वहीं रेलवे ने 30 हजार चादर और 50 हजार तिकया कवर के निर्माण का आदेश दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 अगस्त, 2015 को ‘राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस’ मनाने का ऐलान किया था। उसके बाद पिछले 4 साल से पूरे देश में हस्तकरघा दिवस मनाया जा रहा है। 1905 में 7 अगस्त को ही बंगाल में स्वदेशी का आंदोलन प्रारंभ हुआ था जिसमें रवीन्द्र नाथ ठाकुर से लेकर बंगाल की नामचीन हस्तियों ने हिस्सा लिया था। तब से 7 अगस्त को ‘स्वदेशी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता था जिसे अब ‘हस्तकरघा दिवस’ के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। कम पूंजी से सर्वाधिक रोजगार देने वाला हस्तकरघा इको फ्रेंडली भी है।