ब्राह्मण महासभा सिवान सीट पर उतारेगी उम्मीदवार

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सिवान : भारत की राजनीति को दिशा देने वाले प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का सिवान राजनीतिक हत्याओं व दबंगों के अत्याचार के कारण कुख्यात हो गया था। पिछले कुछ वर्षों से वहां सुशासन और शांति का माहौल कायम हो गया और मतदाता वहां बिना भय के मतदान केंद्रों पर अपना वोट डालने जाने लगे। लेकिन, लोकसभा चुनाव के अवसर पर इस क्षेत्र में जातीय भावनाओं को उभारने का खेल तेज हो गया है।
ब्राह्मणों के प्रति फैलाये गए दुष्प्रचार का विरोध करने और सत्य को स्थापित करने के लिए सिवान में बिहार प्रदेश ब्राह्मण महासभा ने क्षेत्रीय सम्मेलन करके अपनी ओर से चुनाव में उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। ब्राह्मण महासभा की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया है कि ब्राह्मणों को शासक वर्ग का बता सभी राजनीतिक दलों द्वारा उनकी उपेक्षा की गई। जबकि सच्चाई यह है कि इस वर्ग के लोग कभी शासक नहीं रहे। फिर भी राजनीतिक पार्टियों ने इस वर्ग को निशाना बनाया। सत्य यह है कि ब्राह्मण वर्ग के लोग राजा के दरबार में या तो सलाहकार की भूमिका निभाते थे, या फिर समाज में ज्ञान बांट गुजारा करते थे।
ब्राह्मणों के प्रति फैलाये गए दुष्प्रचार का विरोध करने और सत्य को स्थापित करने के लिए ही इस क्षेत्रीय सम्मेलन में चुनाव में उम्मीदवार उतारने की घोषणा की गई है। सिवान शहर के गांधी मैदान में आयोजित ब्राह्मण महासभा के इस क्षेत्रीय सम्मेलन में सिवान और इसके आसपास के लोग एकत्रित हुए। महासभा के अध्यक्ष अनिल तिवारी की अगुवाई में हुई इस सभा में प्रस्ताव पारित कर एनडीए पर ब्राह्मणों की उपेक्षा एवं इस जाति की हकमारी करने का आरोप लगाया गया। इसके साथ ही महासभा के अध्यक्ष अनिल तिवारी को सिवान से संगठन की ओर से चुनाव मैदान में उतारने का प्रस्ताव पारित किया गया। अनिल तिवारी भाजपा से जुड़े रहे हैं। ब्रह्मण नेता बीडी तिवारी ने कहा कि केवल एनडीए ही नहीं, बल्कि महागठबंधन बनाने वाली कांग्रेस ने भी ब्राह्मणों की घोर उपेक्षा की है। सभी राजनीतिक दलों के नेता समाज में जातीय कटुता पैदा कर अपनी रोटी सेंकते हैं। ब्राह्मण समाज पहले स्वयं संगठित होकर अपनी ताकत दिखाएगा। इसके बाद समाज में जातीय विद्वेष फैलाकर अपनी राजनीति चमकाने वाले नेताओं को चुन-चुनकर हराएगा।

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