पटना : बिहार में 2019 लोकसभा का चुनाव युवा चेहरों के लिए अग्नि परीक्षा के जैसा है। फिर चाहे वो राजद के वर्तमान सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव की पार्टी की बात हो या बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार। यहीं नहीं रालोसपा के टिकट से कांग्रेस के राजयसभा सांसद अखिलेश प्रताप सिंह के बेटे आकाश सिंह भी चुनावी मैदान में हैं।
हाल ही में तेजस्वी ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी तुलना कन्हैया कुमार से नहीं की जानी चाहिए। दरअसल, पूरा मामला महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर शुरू हुआ था। कयास लगाया जा रहा था कि कन्हैया कुमार को बेगूसराय से महागठबंधन की और से उतरा जा सकता है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राजद खेमे से लालू कुनबे के नेताओं का मानना था कि ऐसा करने से बिहार में तेजस्वी के अलावा एक युवा विकल्प मिल सकता है। तेजस्वी ने ये भी कहा कि अगर कन्हैया हार जाते हैं तो उनका कुछ नहीं हो सकता। बेगूसराय, राजद की परम्परागत सीट रही है, इसे छोड़ने का सवाल ही नहीं था। खैर यह बात गले से नीचे नहीं उतरती।
लालू की अनुपस्थिति में राजद की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव ने लालू के कथनानुसार ही सीटों का गणित तय किया। इस दौरान कई बार घटक दलों में आपसी मतभेद भी दिखे पर किसी तरीके से महागठबंधन की साख बनी रही। इस चुनाव में महागठबंधन द्वारा उतारे गए उम्मीदवार तय करेंगे कि उनमें राजद का प्रतिनिधित्व कर पाने की क्षमता है कि नहीं।
इसके अलावा बेगूसराय से कन्हैया कुमार भी एनडीए प्रत्याशी गिरिराज सिंह और महागठबंधन के तनवीर हसन से भिंड़ते नजर आएंगे, बेगूसराय को अब हॉट सीट मान लिया गया है। मीडिया में लगातार आती ख़बरों ने यहाँ त्रिकोणीय लड़ाई का प्रसार कर दिया है। हालाँकि, अब भी ये माना जा रहा कि दो बड़े दिग्गजों के बीच कन्हैया कुछ चमत्कार जैसा कर सकें। वहीँ पूर्वी चम्पारण से अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह बिहार के सबसे युवा उम्मीदवार हैं, जिनका सामना एनडीए के राधा मोहन सिंह से होगा। हालाँकि, अब तक राधा मोहन सिंह का पलड़ा भारी दीखता है।
अब एक दिलचस्प बात यह भी है कि 2019 लोकसभा के आमचुनाव में बिहार से 1.5 करोड़ नए मतदाता हैं जो शायद इस बार सांसद चुने जाने का निर्णायक फैसला करेंगे। अब देखना यह है कि नए वोटर राजनीतिक दिग्गजों पर विश्वास दिखते हैं या युवा चेहरों को राजनीति में आने का एक मौका देते हैं।
सत्यम दुबे