बिहार में हड़ताली शिक्षकों का सुध लेने वाला कोई नहीं

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सारण : बिहार में पिछले दो महीने से समान काम समान वेतन सहित सात सूत्री मांगों के समर्थन में हड़ताल पर गये शिक्षकों के बीच से 46 शिक्षकों के असामयिक निधन हो चुकी है। अकेले सारण में विशेस्वर सिंह, ब्रह्देव सिंह, शिवसागर सिंह, अनंतलाल सिंह, संजय सिंह की असामयिक निधन पर शिक्षको मे काफी रोष व्याप्त है।

इतने सारे शिक्षकों की मृत्यु के लिए शिक्षक संघों ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सभी मृत शिक्षक- शिक्षिकाओं की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन धारण कर शिक्षकों ने संवेदना व्यक्त की। विदित हो कि बिहार के सभी शिक्षकों को बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति ने पिछले दिन वीडियो कॉन्फ्रेंस से राज्य कार्यकारणी की बैठक मे हुए निर्णय के आलोक मे शुक्रवार को दिन के 11 बजे से दो मिनट का मौन धारण करने का निर्देश दिया था।

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इसी के आलोक मे शिक्षकों ने लाॅक डाउन का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में दो मिनट का मौन रखा। कुछ शिक्षकों के परिवार के सदस्यो ने भी मौन सभा में हिस्सा लिया। शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार एक तरफ COVID-19 महामारी के नाम पर अपने राज्य के सभी नागरिकों से अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए घर में रहने की अपील कर रही है और जरूरतमंदों को हर प्रकार की सहयता दे रही है।

इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार से सभी को सहायता मिल रहा है। लेकिन, बिहार के चार लाख शिक्षकों व बीस लाख से अधिक उनके आश्रितों का सुध लेने वाला कोई नहीं है। बिहार के 46 घरों के चिराग भुखमरी व ईलाज के अभाव मे दम तोड़ रहे हैं। आज हड़ताल का तीसरा महीना शुरू हो गया है। 17 फरवरी से ही शिक्षक हडताल पर हैं, लेकिन सरकार ने हड़ताली शिक्षकों से वार्ता करने की पहल नहीं की। सारण में इस मौके पर शिक्षकों में रविन्द्र सिंह, रामानुज सिंह, कमलेश्वर प्रसाद यादव, राकेश कुमार सिह, सुभाष कुमार सिंह, दिलीप कश्यप, सुभाष राय, धर्मेद्र कुमार , दीपक कुमार, नीरंजन कुमार सिंह, संतोष सिंह, अजय कुमार सिंह, राजेश कुमार तिवारी, राकेश रंजन, हैपी श्रीवास्तव, रिंकु कुमारी, यासमीन बानो, दिलीप कुमार गुप्ता, राजेश सिंह, घनश्याम चतुर्वेदी, जाहीर अहमद हुस्सैन, हरि बाबा, विजय राम आदि शामिल थे ।

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