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भारत-नेपाल-तिब्बत के तिराहे पर चीन ने दुनिया का फास्टेस्ट इन्फार्मेंशन टेक्नोलाॅजी 5-जी को किया इन्स्टाॅल

भारत पर आसानी से चीन रख सकता है नजर

संजय उपाध्याय

अभी कोरोना संक्रमण से पूरा विश्व दो-चार हाथ हो ही रहा था कि चीन ने विश्व के सबसे उंची पर्वत यर को वहां श्रृंखला मांउट एवरेस्ट पर हाई रिजोल्यूशन के इन्पफार्मेशन टेक्नोलाॅजी के 5-जी को इन्स्टाॅल कर भारत सहित नेपाल में खलबली मचा दी है। इस टेक्नोलाॅजी के माध्यम से चीन अपने सबसे निकटतकम पड़ोसी नेपाल-भारत, तिब्बत तथा पाकिस्तान पर खुफिया नजर रख सकता है। चीन में अब तक दुनिया की इस एडवांस टेक्नोलाॅजी का 130,000 बेस स्टेशन संचालित हो गये हैं। कुछ तो मांउट एवरेस्ट के नीचे दक्षिणी भाग में भी स्थापित हुए हैं। नेपाल में इस नेटवर्क को लेकर सोशल मीडिया पर बावेला मचना शुरू हो गया है।

भारत-नेपाल और तिब्बत का वह है रणनीतिक भाग

हालांकि फिलवक्त न तो नेपाल और न ही भारत ने इसका विरोध किया है, पर काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने अपनी रिपोर्ट देते हुए उल्लेख किया है कि भविष्य में अपने इन्फार्मेंशन टेक्नोलाॅजी के एडवांस लेयर को वहां इन्सटाॅल करते हुए भारत के एक बड़े भूभाग की गतिविधियों पर नजर रख सकता है। रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि जिस जगह पर चीन ने अपनी टेक्नोलाॅजी स्थापित की है, वह भूभाग नेपाल के हिस्से में आता है और भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। सदियों से उसे भारत की प्रहरी न केवल कहा जाता है कि बल्कि बड़े स्केल पर देखा जाए तो वह है भी। उससे भारत को कठिन भौगोलिक क्रिया यथा, पश्चिमी विछोह, चक्रवात आदि से भी रक्षा करता है।

विदेश मंत्रालय पहले अपने काउंटर पार्ट नेपाल से करेगी मंत्रणा

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में विस्तार से मंत्रालय स्तर पर मंत्रणा हो गयी है। अब विदेश मंत्रालय अपने दिल्ली स्थित अपने काउंटर पार्ट से वार्ता करेगा। चर्चा का हवाला देते हुए एक गुप्तचर एजेंसी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि 5जी डाटा चीन की हुवेई कंपनी ने विकसित किया जोेेेेेेेेेेे दुनिया का सबसे फासटेस्ट है। इसने अपनी मार्केटिंग अमरीका में भी करनी चाही, पर वहां की सरकार ने इसे अपना सिक्योरिटी थे्रट बताते हुए उपयोग करने से खारिज कर दिया। बाद में अमरीका ने अपने देश में इसे ब्लैक लिस्टेड ही कर दिया।

कालपानी जैसा हो सकता विवाद,आईटीबीपी कैंप भी जद में

दुनिया की सबसे उंची चोटी 8,850 से थोड़ा से नीचे 6,500 समुद्र तल से उपर इसके जद में पूरा तिब्बत आ जाता है, जिसकी पहचान एक ऑटोनामस देश के रूप में है। भारत-नेपाल-तिब्बत के तिराहे को कवर करता हुआ इसका रेंज भविष्य में कालापानी जैसा ही विवाद पैदा कर सकता है जहां भारतीय आईटीबीपी का बेस कैंप है। वहां से भारतीय सेना चीन पर भी नजर रखती है तिब्बत और नेपाल तो पड़ोस में ही है। उस कैंप को हटाने के लिए चीन ने तत्कालीन नेपाल प्रमुख पुष्प कमल प्रचण्ड और बाबू राम भटाराई को भड़काया था। सूत्रों ने यहां तक बताया कि आईटीबीपी का वह प्रमुख कैंप में चीन द्वारा स्थापित 5-जी के रेंज में आ सकता है। उस 5-जी से भारत पर भी आसानी से नजर रखी जा सकती है।

नेपाली बुद्विजीवियों में बेचैनी पर प्रधानमंत्री हैं चुप

बहरहाल, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भले ही इस मसले पर एक रहस्यमय चादर ओढ़ कर चुप्पी साध ली है, पर सीधे तौर पर मांउट एवरेस्ट पर चीन का कब्जा नेपाली भविष्य के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि मांउट एवरेस्ट की इंटरनेशनल बार्डर को पहले भी नेपाल-चीन में विवाद हो चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी भटाराई कुछ इसी तरह की हरकतों को रोकने के लिए चीन का दौरा भी कर चुके थे।