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बेगूसराय में कामयाब होगी जेएनयू की ‘इंशा अल्लाह’ प्लानिंग?

बेगूसराय : बेगूसराय के भूमिहारों—यादवों—मुस्लिमों को बांटने के लिए कन्हैया फूलप्रूफ प्लानिंग के साथ काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक सोचे समझे पैटर्न पर अपने ‘टुकड़े—टुकड़े’ तथा ‘इंशा अल्लाह’ गैंग को नयी दिल्ली से बुलाकर बेगूसराय में उतार दिया है। वे यहां अलग—अलग काम पर लगाये गए हैं। कन्हैया बेगूसराय के मुस्लिमों के लिए अपने ‘इंशा अल्लाह’ गैंग का उपयोग कर रहे हैं, वहीं यादवों और भूमिहारों के लिए उन्होंने ‘टुकड़े—टुकड़े’ अस्त्र को लगाया है। आइए जानते हैं कैसे कन्हैया यह सब कर रहे हैं, और ऐसा करने के पीछे उनकी रणनीतिक सोच क्या है?

मुसलमानों के लिए फातमा नफीस की ‘इंशा अल्लाह’

बेगूसराय सीट से सीपीआई कैंडिडेट और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया किसी भी हाल में जीतना चाह रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक खास प्लानिंग के तहत जेएनयू के लापता छात्र नजीब की मां को अपने कैंपेन के लिए बेगूसराय बुलवाया है। नजीब की मां फातमा नफीस बेगूसराय जिले में मुस्लिमों के बीच जाकर अपने लापता बेटे के नाम पर कन्हैया के लिए समर्थन जुटाने में लगी हैं। अब इस दौरान वे किन भावनाओं और बातों का जिक्र अपने मुस्लिम भाइयों से करती होंगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। उधर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नजीब की मां पर बेगूसराय का माहौल खराब करने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है। विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य अजीत चौधरी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जिस तरह से कल बेगूसराय में एक सभा में विद्यार्थी परिषद के प्रति गलत टिप्पणी की गयी, इससे साबित हो जाता है कि वो अपने लापता बेटे के नाम पर राजनीति कर देशविरोधियों के  लिए काम कर रही हैं। जानबूझकर बेगूसराय की धरती को जेएनयू की प्रयोगशाला बनाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नजीब लापता है या खुद लापता हो गया है, यह पुलिस का मामला है। लेकिन माहौल को खराब करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

भूमिहार—यादवों के पीछे ‘टुकड़े—टुकड़े’

अब आइए बात करते हैं भूमिहार और यादव वोटों की। इन दोनों जातीय समीकरणों के पीछे कन्हैया कुमार ने जिग्नेश मेवानी और ‘टुकड़े—टुकड़े गैंग’ के अपने अन्य साथियों को लगाया है। भूमिहार वोटरों की तादाद बेगूसराय लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा है यानी लगभग पौने पांच लाख इस समाज के वोटर हैं। कन्हैया की नजर इसी वोटबैंक में सेंध लगाने की है। इस सीट पर मुसलमान, कुशवाहा की संख्या लगभग 2.5 लाख, कुर्मी की संख्या लगभग 2 लाख, और तकरीवन 1.5 लाख की संख्या में यादव वोटर हैं। जहां तक भूमिहारों की बात है, तो शुरू में यह समाज वामपंथ का पैरोकार रहा, लेकिन कालक्रम में वामपंथ का सूरज बेगूसराय में अस्त होता चला गया और इस समाज का जुड़़ाव कांग्रेस—भाजपा के साथ हो गया। आज की तारीख में कन्हैया की कोशिश इस समाज के वोट को बांटने की ही है।

कुर्मी—कुशवाहा गिरिराज के साथ

बेगूसराय में यादव वोट करीब 1.5 लाख हैं। कन्हैया यहां भी तोड़—फोड़ मचाना चाह रहे हैं। लेकिन इसमें उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी, कहा नहीं जा सकता क्योंकि बिहार में यादव राजद तथा लालू से अलग नहीं जा सकते। कन्हैया के लिए सबसे चिंता इसी बात को लेकर है। साथ ही कुर्मी और कुशवाहा भी एनडीए छोड़ कन्हैया का रुख करेंगे, यह सोचना बेमानी है। अत: यहां भी कन्हैया जिग्नेश मेवानी एंड ग्रुप के माध्यम से टूट की फिराक में हैं। लेकिन यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि ‘टुकड़े—टुकड़े’ का मंसूबा पालने वाले कन्हैया अपनी रणनीति में कितना कामयाब हो पाते हैं—क्योंकि यह बिहार की जनता है, न कि नयी दिल्ली का जेएनयू!