बंगाल में हालात भयावह : फैलता गया कोरोना, आंकड़े छिपाती रही ममता

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नयी दिल्ली/कोलकाता : कोरोना महामारी से ‘सिटी आफ ज्वाय’ कोलकाता समेत पूरे बंगाल में हालात भयावह हो गए हैं। कोरोना संक्रमितों और उससे मौत के आंकड़ों की बाजीगरी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ इस कदर फंस गईं कि जहां बंगाल पूर्वी भारत का वुहान बनता जा रहा है, वहीं पिछले दिनों उन्हें अपनी गलती कबूल करते हुए कोरोना से मौत के आंकड़ों को भी दुरुस्त करना पड़ा है। आज आलम ये है कि पिछले 24 घंटे में बंगाल में कम से कम आठ व्यक्तियों की कोविड-19 से मौत हो गई और मौत का कुल आधिकारिक आंकड़ा 80 हो गया। यही नहीं, 24 घंटे में 92 नए मामले सामने आने के साथ ही राज्य में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1549 हो गई है।

घुसपैठियों वाले इलाके में कम्यूनिटी संक्रमण का खतरा

अब भी यह माना जा रहा है कि बंगाल में कोरोना से मौत के कई ऐसे मामले हैं जो रिपोर्ट ही नहीं हुए। या फिर रिपोर्ट हुए तो राज्य सरकार ने उनकी रिपोर्टिंग में लापरवाही बरती और सामान्य मौत बताकर खारिज कर दिया। इसमें कई मामले ऐसे होने की संभावना है, जो अवैध रूप से यहां रह रहे बांग्लादेशियों से जुड़े हैं। यह काफी भयानक स्थिति है क्योंकि इससे बंगाल में कोरोना के कम्यूनिटी संक्रमण का खतरा पैदा हो गया है। अलीपुर, वर्धमान, 24 परगना आदि ऐसे जिले हैं जहां स्थानीय निकाय और राज्य सरकार की रिपोर्टिंग में भारी विरोधाभास देखा जा रहा है।

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वोट हेतु प्रशांत किशोर के सलाहों पर चलने की कीमत

दूसरी तरफ ममता बनर्जी द्वारा महामारी को भी चुनावी चश्मे से देखने की नीति ने केंद्र सरकार द्वारा कोरोना की रोकथाम के लिए उठाये गए कदमों को बंगाल में लागू होने में रोड़े अटकाये। ऐसा करने में एक तो ममता बनर्जी और दूसरे उनके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मिले सलाहों की अहम भूमिका रही। घुसपैठियों के वोट के चक्कर में कोरोना की भयावहता पर ज्यादा ध्यान नहीे दिया गया। लेकिन शायद ममता को अब यह अहसास हो गया कि यह समय चुनाव का नहीं, बल्कि कोरोना से लड़ने का है। तभी उन्होंने कोरोना पर अपने राज्य के आंकड़ों में पिछले दिनों सुधार करवाया। इससे बंगाल में कोरोना से मरने वालों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गयी।

केंद्रीय टीम ने किया आगाह, मौत के आंकड़े बढेंगे

पश्चिम बंगाल के दौरे पर आए केंद्र के अंतर मंत्रालयी केन्द्रीय दल ने कहा है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों के मामले में पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर देश में सबसे अधिक 12.8 प्रतिशत है। अंतर मंत्रालयी केन्द्रीय दल (आईएमसीटी) के सदस्य अपूर्व चंद्रा ने राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को अपनी टिप्पणी में कहा कि देश में कोविड-19 मृत्यु दर पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 12.8 प्रतिशत है। चंद्रा ने पत्र में कहा, यह उच्च मृत्यु दर जांच में कमी अैर कमजोर निगरानी को दर्शाती है। चंद्रा ने कहा कि मेडिकल बुलेटिन में राज्य द्वारा बताए गए कोविड-19 के मामलों और केन्द्र सरकार को दी गई जानकारी में अंतर है। चंद्रा के नेतृत्व में दल दो सप्ताह शहर में बिताने के बाद राष्ट्रीय राजधानी लौट चुका है।

देर से जागी बंगाल सरकार, लक्षणों वाले 92000 मरीज

इधर पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के 92,000 से अधिक मामले और सांस रोग के 870 मामलों की पहचान की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माना कि कोविड-19 के मद्देनजर ये मामले शुरुआती चेतावनी के संकेत हो सकते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार घर-घर निगरानी का अभियान चला रही है जो तब तक चलता रहेगा जब तक कि यह कोरोना वायरस परास्त नहीं हो जाता।

अब जाकर ममता ने केंद्र के सुझावों पर बदली रणनीति

कोविड-19 महामारी से कथित रूप से अकुशलता से निपटने को लेकर आलोचना से घिरी पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने परीक्षण कई गुना बढ़ाकर, कोरोना वायरस मौतों पर ऑडिट समिति के क्षेत्राधिकार में बदलाव लाकर और लॉकडाउन उपायों को कड़ा करके रणनीति बदली है। तृणमूल के शीर्ष नेताओं के अनुसार, रणनीति में बदलाव लोगों में बढ़ते असंतोष, कम परीक्षण और कमजोर निगरानी को लेकर केंद्र की टीमों की तीखी टिप्पणी जैसे कारणों के चलते किया गया। यह तृणमूल के लिए अगले साल विधानसभा चुनाव में महंगा साबित हो सकता था।

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